– डॉक्टरों की बनाई गई टीम
सामना संवाददाता / मुंबई
हृदय प्रत्यारोपण कर देश का एकमात्र मनपा अस्पताल होने का गौरव हासिल करनेवाला केईएम अस्पताल अब अंगदान में तेजी लाएगा। इसके तहत ब्रेन डेड मरीजों की पहचान करने के लिए अस्पताल में डॉक्टरों की एक टीम बनाई गई है। यह टीम ब्रेन डेड मरीजों के परिजनों को अंगदान करने के लिए प्रेरित करेगा।
मुंबई में निजी अस्पतालों की तुलना में सरकारी अस्पतालों में अंगदान कम होता है। इसके अलावा निजी अस्पतालों में ट्रांसप्लांट का खर्च भी अधिक होता है। इन सभी बातों को ध्यान में रखते हुए अंगदान को प्रोत्साहित करने के साथ-साथ केईएम अस्पताल में वर्षों से बंद पड़ी ट्रांसप्लांट सुविधा भी शुरू की गई है। केईएम अस्पताल प्रशासन की तरफ से कहा गया है कि मनपा अस्पतालों में एक्सीडेंटल मरीजों की संख्या अधिक होती है। कई लोगों का इलाज आईसीयू में किया जाता है। इनमें से कई रोगियों में सुधार होता है, जबकि कई में सुधार न दिखाई देने पर उन्हें ब्रेन डेड घोषित कर दिया जाता है। ऐसे मरीजों की पहचान करते हुए उनके परिजनों को अंगदान के लिए प्रोत्साहित करने का काम नई टीम करेगी। इसके साथ ही हृदय प्रत्यारोपण के लिए एसओपी तैयार करने के लिए आनेवाले हफ्तों में सभी विशेषज्ञों की एक बैठक आयोजित की जाएगी।
अस्पताल प्रशासन के मुताबिक, डेढ़ महीने पहले एनेस्थीसिया के प्रोफेसर डॉ. शशिकांत शिंदे को ब्रेन डेड मरीजों की पहचान करने की जिम्मेदारी दी गई थी। अब उनके साथ ही दो और इंटेंसिविस्ट की टीम ब्रेन डेड मरीजों की पहचान करने और अंगदान होने तक अंगों को सुरक्षित और संक्रमण मुक्त रखने का काम करेगी। टीम ब्रेन डेड मरीजों के रक्तचाप और हृदय की कार्यप्रणाली को बनाए रखने पर भी काम करेगी।