मोरारजी मोदी!

लोकसभा चुनाव में महाराष्ट्र ने भाजपा और उसके सहयोगियों की कमर तोड़ दी। जिसके चलते नरेंद्र मोदी ने लोकसभा में अपना बहुमत खो दिया। इसलिए विधानसभा चुनाव से पहले मोदी ने महाराष्ट्र आकर नौटंकी शुरू कर दी है। मोदी उद्योगपति अंबानी के घर शादी में शामिल होने मुंबई आए थे और इस निमित्त उनकी कुछ भूमिपूजन और उद्घाटन करते हुए तस्वीरें जारी की गई हैं। २९ हजार करोड़ की विभिन्न परियोजनाओं के लोकार्पण, भूमिपूजन और शुभारंभ कर उन्होंने जश्न मनाया। मुंबई में पिछले दो दिनों से हो रही भारी बारिश से जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है। मुंबई महानगरपालिका में फिलहाल प्रशासन का राज है। जन प्रतिनिधियों का राज मोदी ने खत्म कर दिया है। नतीजा यह हुआ कि नालों की सफाई के १२ बज गए हैं। नालों की सफाई के नाम पर पैसे फिजूलखर्च किए गए। मुंबई में भ्रष्टाचार का गटर फूटा और प्रधानमंत्री मोदी ने उस नाले में अपने पैर डालकर घोषणा की कि हम महाराष्ट्र को शक्तिशाली और मुंबई को दुनिया की आर्थिक राजधानी बनाएंगे। कोई मोदी को बताए कि मुंबई देश की आर्थिक राजधानी है और अगर दिल्ली में मोदी-शाह का राज नहीं आया होता तो मुंबई निश्चित तौर पर दुनिया की आर्थिक राजधानी बन गई होती। पिछले दस वर्षों में गुजरात के हित के लिए मुंबई को जिस तरह से खरोंचा या तोड़ा गया, उससे मुंबई घायल हुई है। मुंबई कराह रही है। मोदी राजनीतिक लफ्फेबाजी में माहिर हैं। चूंकि वे दूसरों की तुलना में अलग तरह से पैदा हुए हैं, यानी नॉन बायोलॉजिकल रूप से, इसलिए सत्य और असत्य से उनका मेल नहीं होता होगा। हाल ही में वे एक भुलक्कड़ भोलू या अधिक सटीक रूप से कहें तो बारंबार झूठ बोलना इनकी आदत बन गई है। मोदी साहेब ने दावा किया है कि उनका लक्ष्य महाराष्ट्र को दुनिया की एक प्रमुख आर्थिक महाशक्ति और फिनटेक राजधानी बनाना है। सच तो यह है कि पिछले १५० वर्षों से मुंबई भारत की वित्तीय राजधानी होने के बावजूद, मोदी ने मुंबई में अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र (आईएफएससी) की स्थापना का विरोध किया। हालांकि, इसी तर्ज पर एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र गुजरात की ‘गिफ्ट’ सिटी में स्थापित किया गया। सन् २००६ में मनमोहन सिंह ने इस अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र को मुंबई में स्थापित करने का प्रयास किया था और इस उद्देश्य के लिए बांद्रा-कुर्ला कॉम्प्लेक्स में भूमि भी अंतरराष्ट्रीय वित्तीय सेवा केंद्र के लिए आरक्षित की थी। इस वित्तीय सेवा केंद्र की वजह से मुंबई को दो लाख नौकरियां मिलनी थीं, लेकिन मोदी को क्या करना चाहिए? वित्तीय सेवा केंद्र के लिए निर्धारित भूमि बुलेट ट्रेन परियोजना की भेंट चढ़ गई। मोदी को ऐसा न करने के लिए मनाने की कोशिश की गई, लेकिन मोदी ने मुंबई में वित्तीय सेवा केंद्र परियोजना को रद्द कर इसे गुजरात में स्थानांतरित कर दिया और बुलेट ट्रेन के लिए जमीन दे दी। मोदी अब मुंबई को दुनिया की आर्थिक राजधानी बनाने की बात करते हैं, यह पाखंड है। पिछले दस सालों में मोदी ने महाराष्ट्र के लिए कुछ खास नहीं किया। उन्होंने हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे की महाराष्ट्र स्वाभिमानी शिवसेना को तोड़ दिया। उन्होंने राज्य के वरिष्ठ नेता शरद पवार की राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी को तोड़कर महाराष्ट्र में असंवैधानिक रूप से कमजोर व गुजरात की गुलामी करने वाली लाचार सरकार बनाई। अगर मोदी महाराष्ट्र में कोई उद्योग लाए हैं तो वह ‘मिंधे’ (लाचार घाती शिंदे) उद्योग है। यानी मोदी-शाह मुंबई और महाराष्ट्र को लूटते हैं और मिंधे ‘वाह-वाह वाह-वाह’ कहकर ताली बजाते हैं। मोदी ने महाराष्ट्र के स्वाभिमान, शौर्य और अखंडता को मिट्टी में मिला देने वाली टोली तैयार की और उनके हाथों मराठी मुलुक की सत्ता उन्हें सौंप दी। पिछले दस वर्षों में महाराष्ट्र में कई प्रमुख औद्योगिक परियोजनाएं और निवेश को लेकर मोदी ने सौतेला व्यवहार किया। मुंबई का सबसे बड़ा क्रिकेट उद्योग गुजरात ले जाया गया। हीरा उद्योग सूरत में स्थानांतरित किया गया। वेदांता ने फॉक्सकॉन, ड्रग्स पार्क जैसी परियोजनाओं को मुंबई से गुजरात स्थानांतरित कर दिया। वस्त्रोद्योग आयुक्त का कार्यालय दिल्ली स्थानांतरित कर दिया गया। एयर इंडिया का मुख्यालय मुंबई से बाहर चला गया। रिजर्व बैंक, स्टॉक एक्सचेंज पर भी उनकी टेढ़ी नजर है। धारावी परियोजना के बहाने मुंबई सॉल्ट पैन की बेशकीमती जमीन अपने उद्योगपति मित्र को देकर मोदी मुंबई पर अपना गुस्सा उतार रहे हैं। मेट्रो प्रोजेक्ट के नाम पर आरे जंगल को साफ कर दिया गया। महाराष्ट्र को बर्बाद कर दिया। महाराष्ट्र को कंगाल कर दिया। आज राज्य पर आठ लाख करोड़ के कर्ज का पहाड़ है। महाराष्ट्र पर अब लिए गए कर्ज चुकाने की क्षमता नहीं रही है। फिर भी मोदी एक गरीब और महाराष्ट्र को डुबाने वाले मुख्यमंत्री को गोद में लेकर घूम रहे हैं। महाराष्ट्र का सामाजिक स्वास्थ्य बिगड़ गया है। एक समुदाय दूसरे समुदाय के विरुद्ध खून पीने के लिए खड़ा हो गया है। क्योंकि ये लड़ाई रोजगार और जिंदा रहने की है। मोदी ने दस साल में महाराष्ट्र की आर्थिक ताकत खत्म कर दी, रोजगार खत्म कर दिया। अगर मोदी नाणार रिफाइनरी, वाढवण जैसी जहरीली परियोजनाएं लाकर महाराष्ट्र में रोजगार पैदा करने की शेखी बघार रहे हैं, तो वह महाराष्ट्र के लोगों को मौत के गर्त में धकेल रहे हैं। संयुक्त महाराष्ट्र की लड़ाई में मोरारजी देसाई ने सीधे मराठी मानुषों पर गोलियां बरसाईं। मोदी जहर में चीनी बोकर महाराष्ट्र को मार रहे हैं। उन्हें मोरारजी मोदी ही कहना पड़ेगा!

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