मुख्यपृष्ठखबरेंइलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में मस्जिद! ...सुप्रीमकोर्ट ने दिए तीन महीने में हटाने...

इलाहाबाद हाईकोर्ट परिसर में मस्जिद! …सुप्रीमकोर्ट ने दिए तीन महीने में हटाने के निर्देश

सामना संवाददाता / प्रयागराज
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को इलाहाबाद हाई कोर्ट परिसर में बनी मस्जिद ३ महीने में हटाने का आदेश दिया। हाई कोर्ट ने २०१८ में ही सार्वजनिक जमीन पर बनी इस मस्जिद को हटाने के लिए कहा था।
अब सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हाई कोर्ट के आदेश में कोई कमी नहीं है। याचिकाकर्ता चाहे तो सरकार को वैकल्पिक जगह के लिए आवेदन दे सकता है। कोर्ट ने मस्जिद हटाए जाने का विरोध करने वाले याचिकाकर्ताओं को बताया गया कि संरचना एक खत्म हो चुके पट्टे (लीज) पर ली गई संपत्ति पर है और वे अधिकार के रूप में इसे कायम रखने का दावा नहीं कर सकते। याचिकाकर्ताओं, वक्फ मस्जिद हाई कोर्ट और यूपी सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने २०१८ के इलाहाबाद उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती दी थी। हाई कोर्ट ने उन्हें मस्जिद को परिसर से बाहर करने के लिए तीन महीने का समय दिया था।
जस्टिस एम.आर. शाह और न्यायमूर्ति सीटी रविकुमार की पीठ ने हालांकि, याचिकाकर्ताओं को मस्जिद के लिए पास में किसी जमीन के आवंटन को लेकर उत्तर प्रदेश सरकार को एक प्रतिवेदन करने की अनुमति दी। बेंच ने याचिकाकर्ताओं को बताया कि भूमि एक पट्टे की संपत्ति थी जिसे समाप्त कर दिया गया था। वे अधिकार के तौर पर इसे कायम रखने का दावा नहीं कर सकते। पीठ ने कहा, ‘हम याचिकाकर्ताओं द्वारा विचाराधीन निर्माण को गिराने के लिए तीन महीने का समय देते हैं और यदि आज से तीन महीने की अवधि के भीतर निर्माण नहीं हटाया जाता है तो हाई सहित अधिकारियों के लिए उन्हें हटाने या गिराने का विकल्प खुला रहेगा।’
मस्जिद पक्ष के वकील ने किया विरोध
मस्जिद की प्रबंधन समिति की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि मस्जिद १९५० के दशक से है और इसे यूं ही हटाने के लिए नहीं कहा जा सकता। उन्होंने कहा, ‘२०१७ में सरकार बदली और सब कुछ बदल गया। नई सरकार बनने के १० दिन बाद एक जनहित याचिका दायर की जाती है। जब तक वे हमें जमीन उपलब्ध कराते हैं, तब तक हमें वैकल्पिक स्थान पर जाने में कोई समस्या नहीं है।’

अन्य समाचार