३० दिन में जवाब नहीं तो रजिस्ट्रेशन रद्द
फ्लैट्स की बिक्री और बैंक एकाउंट होंगे फ्रीज
सामना संवाददाता / मुंबई
महाराष्ट्र रियल इस्टेट रेगुलेटरी ऑथॉरिटी (महारेरा) ने राज्य में १०,७७३ अधूरे प्रोजेक्ट्स पर सख्ती शुरू कर दी है। इन प्रोजेक्ट्स को ३० दिनों के भीतर जवाब देने के लिए कारण बताओ नोटिस भेजे गए हैं। अगर इस अवधि में डेवलपर्स ने जवाब नहीं दिया या प्रोजेक्ट की डेडलाइन बढ़ाने का आवेदन नहीं किया, तो रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाएगा। साथ ही, इन प्रोजेक्ट्स में फ्लैट्स की बिक्री और खरीदारी पर रोक लगाई जाएगी और संबंधित बैंक एकाउंट भी प्रâीज किए जा सकते हैं। महारेरा ने २०१७ से अब तक पंजीकृत प्रोजेक्ट्स का गहन निरीक्षण किया और पाया कि कई डेवलपर्स ने प्रोजेक्ट पूरा करने की समयसीमा पार कर ली है, लेकिन आवश्यक ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट (ओसी) और फॉर्म ४ जमा नहीं किया।
दीव-दमन में १८प्रोजेक्ट्स
इन प्रोजेक्ट्स में सबसे ज्यादा मुंबई महानगर क्षेत्र (श्श्R) के ५,२३१ प्रोजेक्ट्स हैं, जबकि पुणे में ३,४०६, नासिक में ८१५, नागपुर में ५४८, संभाजीनगर में ५११, अमरावती में २०१, दादरा और नगर हवेली में ४३ और दीव-दमन में १८ प्रोजेक्ट्स हैं।
कानूनी प्रावधानों का पालन अनिवार्य
रियल इस्टेट (विनियमन और विकास) अधिनियम, २०१६ की धारा ११ (१)(बी), (सी), (डी), और (ई) के तहत प्रत्येक प्रोजेक्ट की तिमाही प्रगति रिपोर्ट और वार्षिक रिपोर्ट वेबसाइट पर अपलोड करना अनिवार्य है। इसके अलावा, जुलाई २०२२ में जारी आदेश ३३/२०२२ के अनुसार, यदि प्रोजेक्ट की जानकारी समय पर अपडेट नहीं की जाती है, तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।
प्रोजेक्ट्स के रद्द होने के नतीजे
अगर डेवलपर निर्धारित ३० दिनों के भीतर जवाब नहीं देते हैं, तो प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन रद्द किया जा सकता है। इसके बाद:संबंधित प्रोजेक्ट्स में फ्लैट्स की बिक्री और खरीद पर रोक लगेगी। प्रोजेक्ट से जुड़े बैंक एकाउंट प्रâीज कर दिए जाएंगे।
महारेरा चेयरमैन का बयान
महारेरा के चेयरमैन मनोज सौनिक ने कहा, ‘वर्तमान में महाराष्ट्र में १०,७७३ अधूरे प्रोजेक्ट्स हैं, जिनकी वजह से कई होम बायर्स का पैसा फंसा हुआ है। प्रोजेक्ट्स की समय सीमा बढ़ाने या आवश्यक दस्तावेज जमा करने में विफल रहने वाले डेवलपर्स पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। हम रियल इस्टेट उद्योग से अपील करते हैं कि वह खुद को इस स्थिति में न लाएं।’
डेवलपर्स को क्या करना होगा?
डेवलपर्स को या तो ऑक्यूपेंसी सर्टिफिकेट और फॉर्म ४ जमा करना होगा या प्रोजेक्ट की समयसीमा बढ़ाने के लिए आवेदन करना होगा। अगर प्रोजेक्ट में कोई रुकावट है, तो डेवलपर को परियोजना को डी-रजिस्टर करने का आवेदन भी करना होगा।