– मारपीट की सप्ताह में हुई है दूसरी घटना
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई मनपा के वीएन देसाई अस्पताल में एक महिला ने समय से पहले ही बच्चे को जन्म दिया। क्रिटिकल अवस्था होने के कारण मां और बच्चे दोनों की मौत हो गई, जिसके बाद अस्पताल में पीड़ित महिला के परिजनों ने हंगामा मचा दिया। नाराज परिजनों ने नवजात गहन चिकित्सा इकाई के डॉक्टरों और कर्मचारियों की पिटाई कर दी। इस घटना के बाद अस्पताल में शिशु व स्त्री रोग विभाग के डॉक्टरों ने ओपीडी बंद रखा, जिससे जांच के लिए आर्इं गर्भवती महिलाओं और बच्चों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। डॉक्टरों ने अस्पताल प्रशासन से मारपीट करनेवालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की है। बता दें कि उपनगरीय अस्पतालों में डॉक्टरों की पिटाई और दुर्व्यवहार की सप्ताह भर में यह दूसरी घटना है।
सांताक्रूज के वीएन देसाई अस्पताल में प्रसूति के लिए भर्ती हुई प्रसूता को अचानक तकलीफ होने लगी। इसके बाद डॉक्टरों ने सात नवंबर को तुरंत उसकी डिलिवरी कराने का पैâसला किया। स्त्री रोग विशेषज्ञ डॉ. निकिता और डॉ. नंदन तुरंत प्रसूति करने का पैâसला किया। उस समय डॉ. मेहिका की मौजूदगी में महिला का सिजेरियन किया गया, लेकिन डिलिवरी के बाद जच्चा-बच्चा दोनों की ही हालत बिगड़ गई। इसलिए बच्चे की मां को तुरंत नायर अस्पताल में रेफर कर दिया गया। जन्म के बाद से ही बच्चे के दिल की धड़कन धीमी थी, साथ ही बच्चा जन्म के बाद से रोया भी नहीं था। इसलिए डॉक्टरों ने तुरंत उसे एनआईसीयू में भर्ती कर दिया। बच्चे को लाइफ सपोर्ट पर रखा गया था, लेकिन बच्चे की हालत में सुधार नहीं हो रहा था। डॉक्टरों द्वारा बच्चे की स्थिति के बारे में उसके परिजनों को समय-समय पर मौखिक और लिखित जानकारी दी गई, लेकिन इलाज के दौरान १० नवंबर को नायर अस्पताल में बच्चे की मां की मौत हो गई। फिर अगले दिन ११ नवंबर को बच्चे की भी मौत हो गई।
बच्चे की मौत के बाद उसके परिजनों ने अस्पताल में हंगामा कर दिया। उन्होंने डॉक्टरों और स्टाफ से अभद्रता करते हुए मारपीट भी की। साथ ही उन्होंने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को भी घेराव कर उनके साथ भी दुर्व्यवहार किया। इस मामले में डॉ. मेहिका ने वकोला पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज कराई।
मरीजों की लगी भीड़
वीएन देसाई अस्पताल के शिशु रोग व स्त्री रोग विभाग के डॉक्टरों द्वारा ओपीडी बंद रखे जाने से इलाज के लिए आई महिलाओं और बच्चों को परेशानी उठानी पड़ी। इसलिए मरीजों के परिजन ओपीडी शुरू करने की मांग को लेकर सीधे चिकित्सा अधीक्षक कार्यालय के बाहर जमा हो गए।