सरकार और प्रशासन की उदासीनता पर जताया विरोध
सामना संवाददाता / कल्याण
उल्हास नदी को प्रदूषण मुक्त करने के लिए सरकार और प्रशासन की लापरवाही के खिलाफ पूर्व नगरसेवक नितिन निकम ने एक अनोखा आंदोलन किया। ‘मी कल्याणकर’ सामाजिक संस्था के अध्यक्ष और पूर्व नगरसेवक नितिन निकम ने उल्हास नदी में 12 घंटे खड़े रहकर अपना विरोध दर्ज कराया। खास बात यह थी कि इस आंदोलन के दौरान उन्होंने पानी की एक भी बूंद नहीं पी। इस समय उनके साथ पूर्व नगरसेवक उमेश बोरगांवकर और कैलास शिंदे भी इस आंदोलन में शामिल हुए।
कल्याण-डोंबिवली के लाखों लोगों की प्यास उल्हास नदी के पानी से ही बुझाई जाती है। केडीएमसी द्वारा इस नदी की पानी से शहर के नागरिकों को सप्लाई किया जाता है। लेकिन, कई जगहों पर इस नदी में भारी मात्रा में प्रदूषण फैल चुका है। कुछ जगहों पर नालियों का पानी तो कुछ जगहों पर रसायनिक कचरा बिना किसी प्रक्रिया के सीधे नदी में छोड़ा जा रहा है। नतीजतन, उल्हास नदी प्रदूषित हो गई है और इस पर स्थायी समाधान की मांग के लिए नितिन निकम पिछले कईं वर्षों से विभिन्न तरीकों से आंदोलन कर रहे हैं। लेकिन इसके बावजूद भी सरकार और प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कदम नहीं उठा रहे हैं, जिससे लाखों लोगों के स्वास्थ्य का गंभीर मुद्दा पैदा हो गया है।
इस पृष्ठभूमि में, नितिन निकम ने बुधवार सुबह से इस अनोखे आंदोलन की शुरुआत की। उल्हास नदी में खड़े होकर उन्होंने अपने हाथ में भारत रत्न डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के एक उद्धरण का पोस्टर भी पकड़ रखा था।
उल्हास नदी में मौजूद इस रसायनिक दूषित पानी के कारण छोटे बच्चे, महिलाएं और बुजुर्ग नागरिक विभिन्न बीमारियों से ग्रसित हैं। नितिन निकम ने कहा है कि आखिर कब तक हमें इस जीवित शव की तरह इन सभी समस्याओं को सहना पड़ेगा?