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मुंबई-गोवा-कोकण महामार्ग : १७ वर्षों की लापरवाही ने बढ़ाई दुर्घटनाओं की संख्या! …जन आक्रोश समिति ने शुरू किया आमरण अनशन

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई-गोवा-कोकण महामार्ग, जो पिछले १७ वर्षों से आधा-अधूरा पड़ा है, अब राज्य सरकार के लिए शर्मनाक मिसाल बन चुका है। सरकार की अनदेखी और लापरवाही के कारण इस मार्ग पर लगातार हो रही दुर्घटनाओं ने लोगों की जान को खतरे में डाल दिया है। इस अनदेखी के खिलाफ ‘जन आक्रोश समिति’ ने माणगांव में आमरण अनशन शुरू कर दिया है। समिति के सचिव रूपेश दर्गे, कोषाध्यक्ष  संजय जंगम और उपाध्यक्ष सुरेंद्र पवार ने कल से इस अनशन की शुरुआत की है। आंदोलन समिति के अध्यक्ष रूपेश दर्गे ने बताया कि अभी तक कुल १० हजार से अधिक एक्सीडेंट हुए है, जिसमें करीबन ३,५०० से ज्यादा लोग जान से हाथ धो बैठे, लेकिन सरकारी आंकड़े मौत को छुपा रहे है। उनके अनुसार, अभी तक लगभग १,८०० लोगों की जान गई है।
समिति के कार्यकर्ताओं का कहना है कि अगर सरकार ने अब भी त्वरित और प्रभावी कदम नहीं उठाए गए तो यह अनशन और उग्र रूप ले सकता है। सरकार की निष्क्रियता और गैरजिम्मेदाराना रवैए से जनता का भरोसा उठता जा रहा है। कोकण के लोग अब इस अन्याय को और सहन करने के लिए तैयार नहीं हैं। जन आक्रोश समिति ने स्पष्ट किया है कि अगर सरकार ने जल्द ही इस मुद्दे पर ध्यान नहीं दिया तो यह आंदोलन बड़े पैमाने पर फैल सकता है।

वरना जारी रहेगा अनशन
१७ साल से बन रहा मुंबई-गोवा हाईवे बीरबल की खिचड़ी हो गया है। हाईवे का निर्माण कार्य शुरू हुए १७ साल से ऊपर हो गए है, लेकिन अभी भी काम अटका हुआ है। कॉन्ट्रेक्टर बीच में काम छोड़कर भाग जा रहे हैं। अभी तक जितना काम हुआ है उसमें भी किसी प्रकार की गुणवत्ता नहीं दिख रही है। यह कोकण के लोगों के साथ छल है। हमारी मांग है कि इस हाईवे को प्राथमिकता दी जानी चाहिए। वरना हमारा अनशन जारी रहेगा। रूपेश दुर्ग, अध्यक्ष

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