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मुंबई हाई कोर्ट का ‘घाती’ सरकार से सवाल …आईपीएल के लिए फीस में रियायत क्यों?

सामना संवाददाता / मुंबई 
आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली द्वारा दायर जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से सवाल किया कि ‘आईपीएल’ के लिए शुल्क में रियायत क्यों दी जा रही है? हर आईपीएल मैच में पुलिस सुरक्षा शुल्क में छूट के बावजूद समय पर शुल्क का भुगतान नहीं किया गया और अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इसके लिए राज्य सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट के अनुसार, ‘जब आप (सरकारी प्रशासन) स्लम बस्तियों में रहने वाले गरीबों के लिए भी जल कर आदि की दर बढ़ा रहे हैं, तो अमीर क्रिकेट संघ के लिए पुलिस सुरक्षा शुल्क में छूट क्यों?’ बॉम्बे हाई कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि उसने साल २०११ से अब तक १४ करोड़ रुपए से ज्यादा का बकाया क्यों माफ कर दिया? साथ ही हाई कोर्ट ने यह भी राय व्यक्त की है कि हमें नहीं लगता कि सरकार का पैâसला पहली नजर में तर्कसंगत है और सरकार को दो सप्ताह के भीतर पैâसले को स्पष्ट करते हुए एक हलफनामा दाखिल करने का भी आदेश दिया है।
राज्य सरकार ने २६ जून, २०२३ के जीआर के माध्यम से प्रत्येक आईपीएल मैच के लिए पहले से निर्धारित पुलिस सुरक्षा शुल्क २५ लाख रुपए को कम करके १० लाख रुपए करने का निर्णय लिया है। इतना ही नहीं छूट का पैâसला २०११ से पूर्वव्यापी प्रभाव से लागू किया गया है। यानी कुल १४ करोड़ ८२ लाख रुपये बकाया फीस माफ की गई है। दायर जनहित याचिका के अनुसार, इस पैâसले से मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन (एमसीए) को फायदा हुआ है, लेकिन मुंबई पुलिस बल और सरकारी खजाने को १४.८२ करोड़ रुपए का नुकसान हुआ है। इसकी सुनवाई गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश देवेंद्र उपाध्याय व न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ के समक्ष हुई। उस वक्त बेंच ने इस बात पर हैरानी जताई थी कि पिछली सरकार के पैâसले के मुताबिक टी२० और वनडे मैच की फीस ७५ लाख रुपये और टेस्ट मैच की फीस ६० लाख रुपए थी, लेकिन अब राज्य सरकार ने फीस सिर्फ १० लाख रुपये कर दी है। पीठ ने आदेश दिया कि राज्य के गृह सचिव पूरे मामले पर हलफनामे पर स्पष्टीकरण दें और एमसीए के पास अब तक बकाया का विवरण भी दें और सुनवाई स्थगित कर दी। बता दें कि राजनीति पार्टियों के नेताओं ने क्रिकेट के लिए कुछ करने की जिद में क्रिकेट मैचों के लिए पुलिस सुरक्षा शुल्क में बंपर छूट दी थी। एक आईपीएल मैच की फीस ७० लाख की जगह सिर्फ १० लाख तय की गई थी। इससे आयोजकों सहित पुलिस प्रशासन को करोड़ों रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ।

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