– चिकित्सकों ने जाहिर की चिंता
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई में पिछले कुछ दिनों से मानसून ने जोरदार दस्तक दी है। भारी बारिश के कारण शहर के कई हिस्सों में जलजमाव हो रहा है। इसके अलावा बारिश में लोग खुले में बिकनेवाले खाद्य पदार्थों का भी अत्यधिक सेवन करने लगे हैं। इस स्थिति में मानसून में मुंबई में स्टमक फ्लू का साया मंडराने लगा है। चिकित्सकों के मुताबिक मौजूदा समय में मुंबई में ५० फीसदी से ज्यादा रोगी स्टमक फ्लू की शिकायत लेकर ओपीडी में पहुंच रहे हैं। रोगियों की बढ़ती संख्या ने चिकित्सकों में भी चिंता पैदा कर दी है। वे सभी को सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि स्टमक फ्लू यानी गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल की बीमारी पानी से जुड़ी हुई है, जो बारिश में और बढ़ जाती है, क्योंकि स्थिर पानी और स्वच्छता का अभाव कीटाणुओं को पैâलाने में मदद करता है। मुंबई जैसे शहरों में स्थित अस्पतालों में अन्य महीनों की तुलना में अक्सर मानसून के दौरान स्टमक फ्लू से पीड़ित मरीजों की संख्या में ४० से ५० फीसदी की वृद्धि देखी जाती है। इंडियन जर्नल ऑफ पीडियाट्रिक्स के अनुसार, स्टमक फ्लू का पांच साल से कम उम्र के बच्चों को विशेष रूप से खतरा होता है। मानसून के दौरान अस्पताल में भर्ती होने वाले ५० फीसदी बच्चे स्टमक फ्लू से पीड़ित होते हैं।
बाहर खाने से बच्चों को बचाएं
एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के बालरोग व निओनेटोलॉजिस्ट, एलर्जी और स्तनपान सलाहकार डॉ. बॉबी सदावर्ती ने कहा कि बच्चों को खासकर मानसून के मौसम में सड़क किनारे का खाना खाने से बचना चाहिए। स्ट्रीट फूड विक्रेता अक्सर स्वच्छ परिस्थितियों में काम नहीं करते हैं। ऐसे में भोजन मक्खियों, धूल, प्रदूषण और बारिश के पानी से दूषित हो सकता है।
बीमारी से बचा सकता है इनका सेवन
मानसून के दौरान कच्चे फलों और सब्जियों को खाने से पहले साफ पानी से धोना चाहिए। यदि किसी को जीआई संक्रमण के लक्षण महसूस हों, तो उन्हें तुरंत चिकित्सा सहायता लेनी चाहिए, क्योंकि समय रहते निदान और इलाज हुआ तो संक्रमण के प्रसार को रोका जा सकता है।
नियमों का पालन करना जरूरी
डोंबिवली ईस्ट में स्थित एक प्रमुख स्वास्थ्य सेवा संस्थान एशियन इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस के गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट और एंडोस्कोपिस्ट सलाहकार डॉ. बिस्वा पात्रा ने कहा कि बारिश के दौरान पीने का पानी और आहार बाहर से लेने के कारण कई बार पेट की समस्या हो सकती है। लोगों को जीआई संक्रमण के खतरे को कम करने के लिए आवश्यक दिशानिर्देशों का पालन करना चाहिए।