-गड्ढे और ट्रैफिक जाम से परेशान हैं ट्रांसपोर्टर और मुबईकर
सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई-नाशिक हाईवे, जिसे कभी दोनों शहरों के विकास की धड़कन माना जाता था, आज खुद ही विकास का सबसे बड़ा अवरोधक बन गया है। १३० किलोमीटर की दूरी तय करने में ७ घंटे का समय लगना इस बात का संकेत है कि यह हाईवे अब यातायात के लिए मुसीबत बन चुका है। २ फीट गहरे गड्ढे और बाईपास के काम ने यात्रियों का हाल बेहाल कर रखा है। वाशिंद से ठाणे तक अधिकांश यात्री लगातार ट्रैफिक जाम का सामना कर रहे हैं।
हाईवे पर जगह-जगह गड्ढों और ट्रैफिक जाम न केवल यात्रा को कठिन बना दिया है, बल्कि ट्रांसपोर्टरों के लिए भी यह एक गंभीर समस्या बन गया है। समय पर माल डिलीवरी न हो पाने के कारण न सिर्फ उनकी लागत बढ़ रही है, बल्कि आर्थिक नुकसान भी हो रहा है। हाईवे की खराब हालत से नाराज ट्रांसपोर्टर और मुंबईकर अब बुरी तरह से त्रस्त हैं।
गलत साइड से यात्रा करने पर मजबूर हैं लोग
स्थिति इतनी बदतर हो चुकी है कि लोग गलत साइड से यात्रा करने के लिए मजबूर हो रहे हैं, जिससे दुर्घटनाओं का खतरा भी बढ़ गया है। इस हाईवे की अनदेखी और इसके रखरखाव में कोताही ने इसे खतरनाक बना दिया है।
मुंबई और नाशिक के बीच का यह प्रमुख मार्ग अब विकास की बजाय विनाश की ओर धकेल रहा है। यह स्थिति न केवल सरकार की नाकामी को उजागर करती है, बल्कि प्रशासन की उदासीनता पर भी सवाल खड़े करती है। सरकार और संबंधित विभागों को इस समस्या का समाधान निकालने की सख्त जरूरत है, अन्यथा मुंबई-नाशिक के बीच की यह यात्रा लोगों के लिए और भी कठिन हो जाएगी।
सरकार टोल लेने में किसी प्रकार की छूट नहीं दे रही है। लेकिन मुंबई से अन्य शहरों की ओर जाने वाले सारे हाईवेज की दुर्दशा हो रखी है। स्थिति खराब होने के कारण ड्राइवर का स्वास्थ्य और गाड़ियों के मेंटेनेंस पर भारी असर पड़ता है। ऐसे में कई बार ड्राइवर गाड़ी चलाने से भी मना कर देते हैं, जिससे हमें काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। सरकार को जल्द इस पर विचार करना चाहिए।
-बल मलकीत सिंह
चेयरमैन,कोर समिति,पूर्व अध्यक्ष, ऑल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस