रोजाना ४ से ५ केस आ रहे हैं सामने
चिकित्सकों ने दी है सतर्क रहने की सलाह
धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मौसम में आए बदलाव के कारण देश की आर्थिक राजधानी मुंबई और उपराजधानी नागपुर में चिकन पॉक्स ने सिर उठाना शुरू कर दिया है। इस समय १०वीं और १२वीं की परीक्षाएं चल रही हैं। इसके बाद अन्य कक्षाओं की भी परीक्षाएं शुरू होंगी। ऐसे समय में छात्र चिकन पॉक्स के लपेटे में आकर पूरी तरह से परेशान हो रहे हैं। चिकित्सकों के मुताबिक, मुंबई में ४-५ और नागपुर में १०० में से ८-९ बच्चे रोजाना बीमारी के शिकार हो रहे हैं। इससे न केवल अभिभावक चिंतित हैं, बल्कि चिकित्सक भी सावधानी बरतने की सलाह दे रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि चिकन पॉक्स वेरिसेला जोस्टर विषाणु के कारण होता है। एक बार यह बीमारी होने के बाद फिर से नहीं होती है। लेकिन कुछ व्यक्तियों में ये वायरस निष्क्रिय रहते हैं और वयस्कता में ‘हर्पीज’ के रूप में उभरते हैं। वायरस के शरीर में प्रवेश करने के १० से २१ दिनों के भीतर लक्षण दिखाई देने लगते हैं। ये लक्षण अगले ५ से १० दिनों तक ऐसे ही बने रहते हैं। इस रोग की शुरुआत बुखार से होती है। इसके बाद कुछ घंटों या एक या दो दिनों में सिर और गर्दन के साथ ही ऊपरी शरीर पर छोटे लाल चकत्ते दिखाई देने लगते हैं।
इनके लिए है खतरनाक
चिकन पॉक्स गर्भवती महिलाओं, एचआईवी पीड़ितों, गंभीर मधुमेह और स्टेरॉयड की उच्च खुराक लेनेवाले लोगों के लिए खतरनाक हो सकता है। हेमोरेजिक फॉर्म (रक्तस्रावी रूप) के रोगियों में यह जटिलताएं बढ़ा सकता है। बच्चों की तुलना में वयस्कों को अधिक समस्या हो सकती है। सांस लेने में कठिनाई, गंभीर सिरदर्द या मनोभ्रंश वाले रोगियों के लिए यह बीमारी अधिक गंभीर हो सकती है।
टीका लगवाना है जरूरी
आईएमए के प्रदेश अध्यक्ष व बाल रोग विशेषज्ञ डॉ. संतोष कदम ने कहा कि स्वस्थ बच्चों को चिकन पॉक्स के लिए चिकित्सा उपचार की आवश्यकता नहीं होती है। इस बीमारी में होनेवाली खुजली को कम करने के लिए डॉक्टर निवारक दवाएं लिखते हैं। चिकन पॉक्स का टीका लगवाना फायदेमंद होता है। टीकाकरण के बाद लक्षण हल्के होते हैं। बच्चों को टीके की पहली खुराक १२ से १५ महीने की उम्र में और दूसरी खुराक ४ से ६ साल की उम्र में दी जाती है।
अभिभावकों की चिंता बढ़ी
मुंबई में चिकन पॉक्स के बढ़ते मामलों को लेकर अभिभावकों में चिंता की लहर दौड़ गई है। अभिभावकों को यह चिंता सता रही है कि कहीं इस बीमारी की चपेट में आने से उनके बच्चों की परीक्षा न प्रभावित हो जाए। जेजे अस्पताल के प्रोफेसर डॉ. मधुकर गायकवाड ने कहा कि मुंबई में इस समय चिकन पॉक्स के रोजाना चार से पांच मामले सामने आ रहे हैं। इतनी आबादी में ये मामूली केस है, लेकिन भविष्य के खतरों को देखते हुए सावधानी बरतने की जरूरत है।