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ढाका टू मुंबई : ३ वर्षों में मुंबई पुलिस ने किया ९२८ बांग्लादेशियों को गिरफ्तार  …बांग्लादेश में ही तय होती है मुंबई आने की कीमत

जय सिंह

बांग्लादेश में हिंदुओं पर जहां अत्याचार बढ़ता जा रहा है, वहीं हिंदुस्थान में बांग्लादेशी घुसपैठियों के आने की स्पीड में कमी नहीं आ रही है। अब हालात ये हैं कि यहां से उन्हें बांग्लादेश डिपोर्ट भी नहीं किया जा रहा है। अधिकारी सरकारी विभाग का रोना रोते हैं। पिछले ३ वर्षों में मुंबई पुलिस ने ९२८ से अधिक बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया, लेकिन लचर न्यायिक प्रक्रिया के कारण अब तक केवल २२२ बांग्लादेशियों को ही डिपोर्ट किया जा सका है। स्पेशल ब्रांच के अनुसार, २०२४ में मुंबई में ४१३ बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया गया, जिनमें से १३३ को निर्वासित किया गया। २०२३ में पुलिस ने ३६८ बांग्लादेशी नागरिकों को गिरफ्तार किया, जिनमें से केवल ६८ को ही वो डिपोर्ट कर पाया और २०२२ में १४७ अवैध बांग्लादेशियों में से केवल २१ को डिपोर्ट करने में कामयाबी मिली थी। यह तो वह आंकड़ा है जो पुलिस विभाग और सरकार की फाइलों में वैâद है, इसके अलावा एक आंकड़ा इस शहर में ऐसा है, जिसे वह सिंडिकेट अपने पास रखता है, जो मजदूरी करते हैं। वह आंकड़ा भी सैकड़ों में है। सूत्रों की मानें तो बांग्लादेश में बाकायदा ऑफिस खोलकर भारत का नागरिक बनाने की दुकान खोली गई है। वहां एक-एक बांग्लादेशी का सौदा किया जाता है। इस सौदे में बॉर्डर पार कराने से लेकर हिंदुस्थान के किस राज्य में उक्त बांग्लादेशी को भेजकर आधार कार्ड, पेन कार्ड, निवास प्रमाण पत्र, पासपोर्ट सहित अन्य फर्जी कागजात बनाने का ठेका वहीं ले लिया जाता है। बॉर्डर पार कराने से लेकर हिंदुस्थान का नागरिक बनाने का पैकेज वहीं तय हो जाता है। कार्यवाही के नाम पर हिंदुस्थान में रह रहे किसी व्यक्ति पर संदेह होने पर अलग-अलग डॉक्यूमेंट्स के जरिए राष्ट्रीयता का सत्यापन किया जाता है। जिस पर संदेह होता है, उसे अपनी नागरिकता साबित करनी होती है। अगर कोई भारत में रह रहा है और अपनी नागरिकता साबित नहीं कर पाता तो पुलिस या दूसरी संबंधित एजेंसी उसे हिरासत में ले लेती है। ऐसे किसी अवैध घुसपैठिए के बारे में जानकारी मिलने पर सबसे पहले स्थानीय थाने में उसके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है। आमतौर पर राज्य सरकारें या केंद्र शासित प्रदेशों में पासपोर्ट (भारत में प्रवेश) अधिनियम १९२० और विदेशी अधिनियम १९४६ के अलग-अलग प्रावधानों के तहत घुसपैठियों पर कार्रवाई की जाती है।

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