सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में दिनों-दिन साइबर क्राइम की घटनाएं बढ़ रही है। इस साल साइबर अपराध की घटनाओं में ३८ प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इनमें से मात्र १० प्रतिशत मामले सुलझाने में साइबर पुलिस कामयाब हुई है। अन्य मामले बिना सुलझे जस के तस पड़े हुए हैं। इस साल तकरीबन १३ सौ करोड़ की धोखाधड़ी साइबर क्राइम द्वारा की गई है। इस कदर हायतौबा मची होने के बावजूद साइबर क्राइम विभाग में पिछले १८ महीनों से कोई फुल टाइम डीसीपी ही नहीं है। इतना ही नहीं, साइबर क्राइम पर काबू पाने के लिए मौजूदा मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने नई मुंबई स्थित ११ अक्टूबर को देश की सबसे आधुनिक और सबसे बड़ी साइबर लैब का उद्घाटन किया था। ८३७ करोड़ की लागत से बननेवाली लैब भी जहां की तहां है। बता दें कि मुंबई में डिजिटल अरेस्ट, ट्रेडिंग, निवेश और कम समय में दोगुनी रकम करने के नाम पर साइबर अपराधी बेखौफ होकर लोगों को लूट रहे हैं। इस साल साइबर क्राइम पुलिस ने निवेश धोखाधड़ी में ८९६ मामले, नौकरी धोखाधड़ी के ३८८, फर्जी वेबसाइट के ९४ मामले दर्ज किए हैं। बावजूद इसके मुंबई साइबर क्राइम विभाग में फुल टाइम डीसीपी नदारद है। मिली जानकारी के मुताबिक, साइबर क्राइम पुलिस के पास पर्याप्त मात्रा में स्टाफ भी नहीं है। पुलिस सूत्रों का कहना है कि इन दिनों साइबर ठग नई टेव्नâोलॉजी का इस्तेमाल कर लोगों को ठग रहे हैं, ऐसे में उनसे निपटने के लिए विभाग में आला अफसरों के साथ ट्रेंड पुलिसकर्मियों की भी जरूरत है।