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खतरे में मुंबई की जिंदगानी! हर साल २२ मिमी ज्यादा बरस रहा है पानी

  • मौसम विभाग के आंकड़ों से चौंकाने वाला सच उजागर

सामना संवाददाता / मुंबई
विश्वभर में जब भी प्रदूषित शहरों की बात आती है तो हर बार हिंदुस्थान के कई महानगर और शहर उस सूची में नजर आते हैं। ऐसे में देश के जलवायु और मानसून में परिवर्तन लाजिमी है। मुंबई जैसे शहर और अगल-बगल के क्षेत्रों में मानसून के समय होने वाली बारिश में बढ़त हर साल लगभग ५.१८ मिमी प्रति वर्ष की दर से हो रही है। अगर मॉनसून के पहले और बिना मौसम वाली बरसात को मिलाकर देखें तो लगभग शहर में हर साल २२ मिमी ज्यादा बारिश हो रही है, जिससे मुंबईकरों की जिंदगानी खतरे में है। ये चौंकाने वाला खुलासा मौसम विभाग द्वारा जारी आंकड़े में हुआ है।
मुंबई के मौजूदा जलवायु शहर के दो जरूरी मोड़ को दर्शा रहे हैं। दरअसल, १९९४ के बाद सांताक्रूज में अत्यधिक भारी वर्षा में प्रतिदिन बढ़त हुई है, जबकि कुलाबा में भी २००५ के बाद पहली बार बढ़त देखी गई। कुलाबा में २००५ में एक ही दिन में ९४४ मिमी बारिश प्राप्त करने वाली ऐतिहासिक वर्षा का सामना करना पड़ा था। भारत के मौसम विज्ञान विभाग और बीएमसी द्वारा प्रदान जानकारी दर्शाता है कि सांताक्रूज शहर में सबसे अधिक बारिश होने वाला क्षेत्र है, वहींr गोवालिया स्टेशन वर्षा के मामले सबसे पीछे है।
क्या है वर्तमान जलवायु का असर?
शहर में बिना मौसम बारिश देखने को मिल रही है, जिसका श्रेय हम जलवायु परिवर्तन को भी दे सकते हैं। मुंबई में जहां गर्मी का पारा ३६ डिग्री सेल्सियस को पार कर गया था, वहीं अन्य क्षेत्रों में बिजली की गरज-चमक और आंधी के साथ शहर में बारिश भी देखने को मिली। यह बिना मौसम की बारिश से शहर के वायु गुणवत्ता में काफी सुधार नजर आया। केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अनुसार, बारिश के पूर्व वायु गुणवत्ता जो कि `२४६’ अंक मतलब बहुत बुरा हाल था, वहीं बारिश के बाद `१३९’ अंक यानी अनुसार स्थिति औसत पर आ गई।

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