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मनपा ने लगाया प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों को बेचने पर प्रतिबंध! …धड़ल्ले से हो रही है पीओपी मूर्तियों की बिक्री

राधेश्याम सिंह / मुंबई
वसई-विरार महानगरपालिका ने पर्यावरण के अनुकूल गणेशोत्सव मनाने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों पर प्रतिबंध लगा दिया था। हालांकि, रोक के लिए कोई कारगार उपाय न होने से यह रोक सिर्फ कागजों पर ही रह गई है। वसई-विरार शहर में प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियां बिकनी शुरू हो गई हैं और इससे महानगरपालिका के पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव मुहिम पूरी तरह से विफल होती दिखाई दे रही है।

इस वर्ष वसई-विरार मनपा ने पर्यावरण-अनुकूल गणेशोत्सव मनाने के लिए प्लास्टर ऑफ पेरिस की मूर्तियों और कृत्रिम सजावटी सामग्री पर प्रतिबंध लगा दिया। कुछ दिन पहले हुई बैठक में इस पैâसले को सख्ती से लागू करने का एलान किया गया था। इस प्रतिबंध को लागू करने के लिए कोई वास्तविक कार्रवाई नहीं की गई है। वहीं वसई-विरार शहर में विभिन्न स्थानों पर मूर्ति बनाने के कारखानों ने बिक्री शुरू कर दी है। कई स्थानों पर मनपा ने बिक्री के लिए जगह उपलब्ध कराई है। ज्यादातर दुकानों में ९० फीसदी मूर्तियां पीओपी और १० फीसदी मूर्तियां शाडू मिट्टी से बनी होती हैं। मूर्ति बनाने वाले एक कारखाना के मालिक का कहना है कि पिछले साल मनपा की अपील की वजह से मैंने शाडू मिट्टी की मूर्तियां बनाई थीं, जिसकी वजह से बहुत नुकसान हुआ था। शाडू मिट्टी की मूर्तियां बनाने में खर्चा ज्यादा लगता है, जिसकी वजह से मूर्तियां महंगी बिकती हैं। इस वजह से ग्राहक शाडू मिट्टी की मूर्तियां नहीं खरीदते हैं।
इस वर्ष भी जगह-जगह पीओपी की मूर्तियां बन रही हैं और बिक भी रही हैं। वसई-विरार मूर्तिकार संगठन के अध्यक्ष जितेश पालकर ने बताया कि इसलिए हम पीओपी की मूर्तियां सस्ती होने की वजह से गणेश भक्त पीओपी की ही मूर्तियां पसंद करते हैं।

पंजीकरण शुरू
गणेशोत्सव नजदीक आते ही गणेश भक्तों ने मूर्तियों का पंजीकरण कराना शुरू कर दिया है। अभी तक ज्यादातर पीओपी की ये मूर्तियां बिक रही हैं। पीओपी की डेढ़ फीट की मूर्ति डेढ़ हजार रुपए में और डेढ़ फीट शाडू मिट्टी की मूर्ति साढ़े चार हजार में बेची जा रही हैं। इसके अलावा बिल्डिंग में रहने वाले लोग अपने घरों में गणपति बप्पा की स्थापना करते हैं। शाडू मिट्टी की मूर्तियां नाजुक होती हैं और टूटने का खतरा ज्यादा होता है, इसलिए लोग पीओपी की मूर्तियां खरीदते हैं।

कृत्रिम सजावटी सामग्रियों की भी हो रही जोरदार बिक्री
पीओपी मूर्तियों की सजावट जहरीले रसायनों से युक्त गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्रियों से की जाती है। इससे बड़े पैमाने पर प्रदूषण हुआ। इससे बचने के लिए, सजावट के लिए प्राकृतिक सामग्रियों और रंगों का उपयोग करके बनाए गए सजावटी कपड़े, मूर्तियों को सजाने के लिए सूखे फूलों के तत्वों, पुआल या गन्ने के पिरामिडों को पर्यावरण के अनुकूल सामग्रियों का उपयोग करने के लिए कहा गया। सिंथेटिक और गैर-बायोडिग्रेडेबल सामग्री भी बेची जाने लगी हैं।

मनपा उपायुक्त विशाखा मोटघरे ने कहा कि पीओपी की मूर्तियों पर प्रतिबंध है। यदि पीओपी की मूर्तियां कहीं भी बेची जा रही हैं, तो उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

 

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