धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
राज्य सरकार ने दो महीने पहले शासनादेश जारी करते हुए चिकित्सा, डेंटल, आयुर्वेद, यूनानी और होमियोपैथिक मेडिकल कॉलेजों में कार्यरत इंटर्न के स्टाइपेंड में वृद्धि करते हुए १८,००० कर दिया है, जिसे तत्काल लागू भी कर दिया। लेकिन मुंबई मनपा द्वारा संचालित मेडिकल कॉलेजों व अस्पतालों में कार्यरत इंटर्न डॉक्टरों के लिए यह शासनादेश अभी तक लागू नहीं किया गया है। आरोप है कि मनपा अस्पतालों के इंटर्न डॉक्टरों को स्टाइपेंड देने में मनमानी करते हुए उन्हें केवल ११,००० हजार रुपए ही स्टाइपेंड दिया जा रहा है। ऐसे में इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि आखिरकार मनपा की क्या मजबूरी है, जो वह सुन ही नहीं रही है। इसके साथ ही उन्होंने सभी अस्पतालों के डीन को पत्र लिखकर इसे लागू करने की मांग की है।
उल्लेखनीय है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग ने २७ फरवरी को बाकायदा एक शासनादेश जारी किया गया है। इस शासनादेश साफ तौर पर आदेश दिया गया है कि राज्य के सरकारी व अनुदानित मेडिकल, डेंटल, आयुर्वेद, यूनानी और होम्योपैथिक मेडिकल कॉलेजों में इंटर्न को हर महीने मिल रहे स्टाइपेंड ११००० रुपए से बढ़ाकर १८००० रुपए कर दिया गया है। इस आदेश को फरवरी महीने से ही लागू कर दिया गया है। हालांकि मनपा इस आदेश को लागू करने में कोताही बरत रही है। इस बीच मनपा स्तर पर कॉर्पोरेट रिजोल्यूशन जारी करके इसे लागू करने की मांग इंटर्न कर रहे हैं। लेकिन मनपा प्रशासन इसे गंभीरता से नहीं ले रहा है। ऐसे में इसका सीधा असर मनपा के प्रमुख चार अस्पतालों में इंटर्नशिप कर रहे करीब ८०३ इनटर्न पर पड़ रहा है। साथ ही वे दो महीनों से इस लाभ से वंचित हैं। मनपा के इस दोहरेपन से डॉक्टरों में नाराजगी का भाव साफ दिखाई दे रहा हैं।
…तो हड़ताल के लिए होना पड़ेगा बाध्य
एसोसिएशन आ़ॅफ मेडिकल इंटर्न ( अस्मी) के सदस्य जीसान भगवान ने कहा कि राज्य सरकार की तरफ से जीआर जारी करने के बाद मनपा को तुरंत कॉर्पोरेट रेजोल्यूशन जारी कर देना चाहिए था। लेकिन मनपा की तरफ से ऐसा कुछ भी निर्णय नहीं लिया गया। इसके चलते हम इससे अब तक वंचित हैं। फिलहाल इसे लेकर हम मनपा के सभी अस्पतालों के डीन को पत्र लिख चुके हैं। उनके माध्यम से भी एक पत्र मनपा के संबंधित अधिकारियों के पास भेजा जाएगा। इसके बाद भी यदि इस मुद्दे को गंभीरता से नहीं लिया गया तो हमें मजबूरन हड़ताल के लिए बाध्य होना पड़ेगा और इस दौरान यदि कोई अनहोनी होगी तो इसके लिए पूरी तरह से मनपा प्रशासन ही जिम्मेदार होगा।
मनपा ने झाड़ा पल्ला
इस संबंध में जब मनपा के अतिरिक्त आयुक्त डॉ. सुधाकर शिंदे से बातचीत की गई तो, उन्होंने कहा कि यह मनपा का विषय नहीं है। इस राज्य के चिकित्सा शिक्षा विभाग से जुड़ा हुआ मुद्दा है। इसलिए इस पर हम कुछ नहीं कह सकते हैं। इस बीच चिकित्सा शिक्षा विभाग के निदेशक डॉ. दिलीप म्हैसेकर के मीटिंग में होने के कारण उनसे बात नहीं हो सकी। हालांकि इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि यह मुद्दा मनपा से जुड़ा हुआ है। इसमें अब चिकित्सा शिक्षा विभाग का कोई लेना-देना नहीं है।
मनपा पर बढ़ेगा ५६.२१ लाख रुपए का बोझ
ब़़़्ाता दें कि इस समय मनपा अस्पतालों में कार्यरत इंटर्न डॉक्टरों को हर महीने करीब ८८.३३ लाख रुपए बतौर स्टाइपेंड भुगतान किया जा रहा है। मनपा यदि कॉर्पोरेट रेजोल्यूशन जारी करती है तो यह राशि बढ़कर एक करोड़ ४४ लाख ५४ हजार रुपए हो जाएगा। इस तरह से मनपा के ऊपर हर माह ५६.२१ लाख रुपए का अतिरिक्त बोझ बढ़ जाएगा।
इस तरह हैं मनपा के पांचों अस्पतालों में इंटर्न
जानकारी के मुताबिक, मनपा के पांचों अस्पतालों में कुल ८०३ इंटर्न डॉक्टर अपनी सेवाएं दे रहे हैं। इनमें नायर अस्पताल में १४४, केईएम में २४०, सायन में १८४, कूपर में १७३ और नायर डेंटल अस्पताल में ६२ इंटर्न डॉक्टरों का समावेश है। फिलहाल इन डॉक्टरों के स्टाइपेंड में बढ़ोतरी न किए जाने से उन्हें कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। कई इंटर्न डॉक्टरों का कहना है कि इतनी कम राशि हमारे लिए पर्याप्त नहीं है।