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मौसमी बीमारियों से हारी मनपा : डेंगू-मलेरिया-लेप्टो का फैला आतंक! … दो से तीन गुना बढ़े रोगी

धीरेंद्र उपाध्याय / मुंबई
मुंबई मनपा की ओर से तमाम तैयारियों के बावजूद मौसमी बीमारियां कंट्रोल से बाहर होती जा रही हैं। शहर में डेंगू, मलेरिया, लेप्टो और स्टमक फ्लू जैसे रोग का आतंक तेजी से बढ़ रहा है। इन रोगों से त्रस्त मुंबईकर पूरी तरह से परेशान हो चुके हैं। ऐसे में मौजूदा स्थितियों को देखते हुए यह साफ दिखाई दे रहा है कि मौसमी बीमारियों से मुंबई मनपा हार गई है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक पिछले महीने की तुलना में इस माह बीमारियों का ग्राफ दो से तीन गुना बढ़ गया है।
ये हैं मरीजों के आंकड़े
मुंबई मनपा के स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक १ जुलाई से ३० जुलाई के बीच मलेरिया के ७२१, डेंगू के ५७९, स्टमक फ्लू के १,६४९, लेप्टो के ३७७, स्वाइन फ्लू के ८६, चिकनगुनिया के २४ और हेपेटाइटिस के १३८मामले दर्ज किए गए हैं। मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने बताया कि इस साल मौसमी बीमारियों के मामले बढ़ते हुए दिखाई दे रहे हैं। इनके शिकार मरीजों को ओपीडी बेसिस पर इलाज कर ठीक किया जा रहा है। इसके साथ ही शहर के विभिन्न क्षेत्रों में ५६ शिविर आयोजित किए गए, जिसमें संदिग्ध मरीजों की जांच कर उनका इलाज किया गया। डॉ. शाह ने बताया कि रिपोर्टिंग यूनिट की संख्या २२ थी, जो अब बढ़कर ८८० हो गई है। इनमें मनपा दवाखाना, अस्पताल, हिंदूहृदयसम्राट बालासाहेब ठाकरे आपला दवाखाना, अतिरिक्त निजी लैब और निजी अस्पताल शामिल हैं। इन यूनिट्स के माध्यम से स्क्रीनिंग और ट्रेसिंग किए जाने से मरीजों की संख्या अधिक दर्ज की जा रही है।

कई मरीज बुखार की शिकायत लेकर आ रहे हैं। उनमें ठंड, मतली, उल्टी, सिरदर्द, शरीर में दर्द, कमजोरी और कभी-कभी भारी बारिश के कारण पीले यूरिन की शिकायत देखी जा रही हैं। बीमारी में प्लेटलेट्स तेजी से कम होने लगती है। कुछ मरीजों में सेरेब्रल मलेरिया, तीव्र गुर्दे की विफलता जैसी जटिलताएं सामने आई हैं। इसके अलावा कई में तीव्र श्वसन संकट सिंड्रोम विकसित हुआ है। इन मरीजों के फेफड़ों में पानी भर गया था। उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
-डॉ. उर्वी माहेश्वरी, इंटरनल मेडिसिन एक्सपर्ट, जायनोवा शाल्बी अस्पताल

घर-घर हो रहा सर्वे
मनपा स्वास्थ विभाग के मुताबिक स्वास्थ्य कर्मी घर घर जाकर सर्वे कर रहे हैं। १ जुलाई से ३० जुलाई के बीच में कुल २०,८९,४५६ घरों का सर्वे किया गया। इस अवधि में ७६,५७,६८५ नागरिकों का भी सर्वे किया गया। अस्पतालों में बुखार से पीड़ित कुल १०,११५ मरीजों का इलाज किया गया है। इसके साथ ही इस अवधि में विभिन्न लैबों में खून के १,४१,१८० सैंपल लिए गए। डॉ. दक्षा शाह ने बताया कि डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए १४,७७,४०८ घरों और १६,३६,६१४ मच्छरों के प्रजनन स्थलों का निरीक्षण किया गया।
पानी के लिए गए नमूने
जल जनित बीमारियों के लिए घर-घर सर्वेक्षण के तहत परीक्षण के लिए पानी के २,९४२ नमूने लिए गए। इस बीच पानी में घातक कीटाणुओं का नाश करने के लिए १,३९,२१५ क्लोरीन टैबलेट वितरित किए गए हैं। इसके अलावा स्टमक फ्लू से पीड़ित मरीजों को १८,०८७ ओआरएस उपलब्ध कराया गया। दूसरी तरफ लेप्टो को नियंत्रित करने के लिए शहर के १४२ क्षेत्रों में चूहों द्वारा बनाए गए ९,२०३ बिलों को बंद किया गया, ताकि बीमारी पर रोकथाम लगाई जा सके।

 

 

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