सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में गटर सफाई के नाम पर मुंबई मनपा ने एक और शानदार योजना बनाई है। ३० लाख रुपए की डीसिल्टिंग मशीनें और ८ करोड़ रुपए का रोबोट खरीदेगी। अब गटर साफ करने के लिए एक रोबोट और २४ नई मशीनें होंगी, जिनकी कीमत भी किसी छोटे से फ्लैट के बराबर है। लेकिन सवाल यह उठता है कि क्या इससे मुंबई के गटर साफ होंगे, या ये महंगे उपकरण केवल मनपा के खजाने में और गहरे गड्ढे बना देंगे?
मनपा का कहना है कि यह रोबोट हाई प्रेशर वॉटर जेट से सीवर में जमा पत्थर, मलबा इत्यादि सब कुछ साफ कर देगा और २४ डीसिल्टिंग मशीनें हर वार्ड में तैनात होंगी, ताकि ओवरफ्लो से परेशान जनता राहत की सांस ले सके। लेकिन सवाल यह है कि जिस शहर में सड़कें खुद गड्ढों की पहचान बन चुकी हैं, वहां गटर की सफाई में रोबोटिक ‘क्रांति’ लाना कितना सही पैâसला है?
मनपा की पारंपरिक ‘बैंडिकूट मशीनें’ गटर की गंदगी उठाकर स्टोरेज में डाल देती थीं, लेकिन अब नई मशीनों में ‘ग्रैब टेक्नोलॉजी’ का इस्तेमाल होगा। ये मशीनें क्रेन जैसी होंगी, जो दो जबड़ों से गंदगी को खींचकर बाहर निकालेंगी। खास बात यह है कि इन मशीनों को स्लम के मैनहोल्स तक आसानी से ले जाया जा सकेगा। हर वार्ड में एक मशीन रखी जाएगी ताकि ओवरफ्लो की शिकायतें तुरंत सुलझाई जा सकें। मनपा की ये मशीनें गटर साफ करेंगी, लेकिन असल गंदगी क्या कभी खत्म होगी?
मुंबई की सड़कों की हालत देखकर लगता है कि इन्हें भी एक ‘सड़क सफाई रोबोट’ की जरूरत है। गड्ढों से भरी सड़कों पर चलते वक्त आम आदमी को गटर और सड़क में फर्क करना मुश्किल हो जाता है। लेकिन मनपा को इसकी कोई फिक्र नहीं है। ८ करोड़ रुपए के इस रोबोट से जनता की उम्मीदें इतनी अधिक हैं, जितनी कि बारिश के बाद मुंबई के ट्रैफिक से नहीं होती।