सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई में बारिश की रफ्तार धीमी पड़ गई है। ऐसे में कभी गर्मी तो कभी ठंडक महसूस हो रही है, जो मौसमी बीमारियों के प्रसार के लिए अनुकूल है। यही कारण है कि शहर में डेंगू, मलेरिया, स्वाइन फ्लू, चिकनगुनिया और हेपेटाइटिस के मामले तेजी से बढ़ रहे हैं। एक तरफ शहर में बीमारियों की रफ्तार नहीं थम रही है, जबकि दूसरी तरफ मनपा की स्वास्थ्य यंत्रणा भी इसे कंट्रोल करने में फेल हो रही है। इस वजह से मुंबईकर पूरी तरह से बेहाल दिखाई दे रहे हैं।
मुंबई मनपा के स्वास्थ्य विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों के मुताबिक, अगस्त में मलेरिया के सर्वाधिक १,१७१ मरीज मिले हैं। इसके बाद १,०१३ मरीजों के साथ डेंगू दूसरे पायदान पर है। इसी तरह गैस्ट्रो के ६९४, लेप्टो के २७२, हेपेटाइटिस के १६९, चिकनगुनिया के १६४ और स्वाइन फ्लू के १७० मरीज मिले हैं। पिछले महीने के आंकड़ों पर नजर डालें तो डेंगू के ५३५, मलेरिया के ७९७, गैस्ट्रो के १,२३९, लेप्टो के १४१, स्वाइन फ्लू के १६१, चिकनगुनिया के २५ और हेपेटाइटिस के १४६ मामले दर्ज किए गए। मनपा की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. दक्षा शाह ने बताया कि पानी में घातक कीटाणुओं का नाश करने के लिए २२,२२७ क्लोरीन टैबलेट वितरित किए गए। इसके अलावा गैस्ट्रो से पीड़ित मरीजों को ३४,५१२ ओआरएस वितरित किए गए। दूसरी तरफ मनपा की तरफ से दावा किया गया गया है कि मुंबई मनपा अस्पतालों में करीब तीन हजार बेडों का प्रबंध किया गया है। इसमें से ५०० बेड उपनगरीय अस्पतालों में हैं। दूसरी तरफ शाम ४ से ६ बजे तक ओपीडी में चालू किया गया है।
चूहों का किया जा रहा खात्मा
लेप्टो को कंट्रोल करने के लिए जहरीली दवाओं का इस्तेमाल करके १,१४७ चूहों को मारा गया है। इसके साथ ही पिंजरे से २,७८४ और नाइट रैट किलिंग के माध्यम से ३०,८५० चूहों को मारा गया। वहीं लेप्टो से बचाव के लिए ३३,६३४ लोगों को प्रतिबंधात्मक दवाइयां दी गर्इं। इतना ही नहीं ७६,११३८ इमारतों और झोपड़पट्टियों में १८,३४७ मशीनों से धूएं मारे गए।
इस तरह किए गए उपाय
मनपा स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, अगस्त में कुल ११,३९,४१० घरों और ५४,३०,९०१ लोगों का सर्वे किया गया। इसके साथ ही मलेरिया का पता लगाने के लिए बुखार से पीड़ित १,७८,०४७ मरीजों का खून के सैंपल लिए गए। डॉ. दक्षा शाह ने बताया कि डेंगू और मलेरिया की रोकथाम के लिए १३,३०,७५६ इमारतों, कंस्ट्रक्शन साइटों और झोपड़पट्टियों में घरों की जांच की गई। इसके साथ ही १४,१९,१३४ कंटेनरों की भी जांच की गई। इस बीच ९३,१४३ प्रजनन स्रोतों और ४,८७७ लार्वा का पता लगाकर उन्हें नष्ट किया गया।