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मिट्टी के सामान के लिए बने संग्रहालय! … पद्मश्री ब्रह्मदेव पंडित की मांग

कुंभार कला को बढ़ावा देने के लिए पहल करे सरकार’
सामना संवाददाता / भायंदर
हम आज भले ही धातु के बर्तनों में खाना बना और खा रहे हैं, पर एक समय हमारे पूर्वज मिट्टी के बर्तनों में ही खाना बनाते थे। एक बार फिर वो परंपरा लौटती जान पड़ रही है। मुंबई की लोकल ट्रेनों में अक्सर मिट्टी के तवा बेचते युवक-युवतियां नजर आने लगे हैं। इसके अलावा आज भी गर्मियों में मटके के पानी की शीतलता का जवाब नहीं है। दही तो आज भी मिट्टी के बर्तन में ही जमाया जाता है और कुल्हड़ की सोंधी चाय के तो क्या कहने। इनके अलावा भी मिट्टी की तमाम तरह की चीजें बनाई जाती हैं। शायद इसीलिए अब पद्मश्री ब्रह्मदेव राम पंडित ने १५ अप्रैल को विश्व कला दिवस पर मांग की है कि हिंदुस्थान में मिट्टी के बर्तनों की पारंपरिक कला को बढ़ावा देने के लिए सरकार को एक कला संग्रहालय बनाना चाहिए।
बता दें कि ब्रह्मदेव पंडित पिछले कुछ वर्षों से एक कला संग्रहालय की स्थापना का प्रयास कर रहे हैं। इस संबंध में उन्होंने मीरा-भायंदर महानगरपालिका व स्थानीय विधायक गीता जैन को भी अवगत कराया है। ब्रह्मदेव पंडित पिछले पांच दशक से भायंदर में रहकर इस कला को आगे बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं। देश-विदेश के नामी कलाकार इस कला की जानकारी हासिल करने भायंदर उनके वर्कशॉप पर आते हैं। २०१३ में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी द्वारा उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया गया था। कुंभार कला में पहली बार यह सम्मान दिया गया।
वह कुंभार कला में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं और अपनी कला को पूरी दुनिया में फैला रहे हैं। उनकी पत्नी देवकी, बेटे अभय, बहू खुशबू और पोते अनंत भी इस कला में माहिर हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे भायंदर में मिट्टी के बर्तन कला संग्रहालय की स्थापना करना चाहते हैं, ताकि अधिक से अधिक लोग कुंभार कला को जान सकें और इसमें लगातार प्रयोग करके इस कला के क्षेत्र में हिंदुस्थान का नाम पूरी दुनिया में अग्रणी बना सकें।

कलाकारों को काम देने की जरूरत! -ब्रह्मदेव पंडित
हमारे देश में कला को बढ़ावा देने के लिए सरकार द्वारा पर्याप्त धनराशि दी जा रही है। इसके लिए सरकार की ओर से कई कला कर्मचारियों का चयन भी किया गया है, लेकिन अलग-अलग कलाकारों की तलाश करना हमेशा जरूरी होता है। क्योंकि कई बड़े और अच्छे कलाकारों की कला आर्थिक तंगी या काम की कमी के कारण नष्ट हो गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे कलाकारों की तलाश करके सरकार को उनकी मदद करनी चाहिए।

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