-खुद को कहता था शिवजी का अवतार
अशोक तिवारी / मुंबई
सनातन धर्म तथा हिंदू संतों को बदनाम करने की देश में मुहिम सी चल पड़ी है। फिल्मों एवं टीवी सीरियलों में साधु-संतों की छवि ऐसी पेश की जाती है, मानो वह संत के भेष में कोई क्रिमिनल हो। मुंबई शहर में भी तमाम ऐसे फर्जी लोग संत का भेष धारण कर घूम रहे हैं, जो कि संत है ही नहीं। संतों को भेष में मुंबई शहर के लिए सिग्नल और गली-कूचों तथा झोपड़पट्टियों में ऐसे समाज कंटक मिल जाते हैं, जो असल जिंदगी में संत होते ही नहीं हैं, बल्कि उनका भेष धारण कर भीख मांगने और लोगों को ठगने का प्रयास करते हैं। जिसकी वजह से सीधा-साधा संत समाज बदनाम होता है। घाटकोपर-पश्चिम के असल्फा में कुछ नागरिकों ने एक ऐसे संत को पकड़ा, जो खुद को शिवजी का अवतार बताते हुए मार्केट में भीख मांग रहा था। उसे व्यक्ति ने भगवा कलर का संत का पूरा चोला धारण कर रखा था। वह लोगों को हर समस्या चुटकी में सुलझा देने का दावा करता था। कुछ लोगों को उस पर शक हुआ। लोगों ने उसे संत को पकड़ कर सख्ती से पूछताछ की तो उसने खुद का नाम लालू सिद्दीकी बताया। स्थानीय समाजसेवक महेंद्र भानूशाली ने तत्काल घाटकोपर पुलिस को इसकी सूचना दी। मौके पर पहुंची घाटकोपर पुलिस ने उस तथाकथित संत को गिरफ्तार कर लिया। पूछताछ में लालू सिद्दीकी ने बताया कि वह हिंदू नहीं, बल्कि मुसलमान है और वाराणसी का रहने वाला है तथा पैसा कमाने के उद्देश्य से हिंदू संत बनकर भिक्षा मांग रहा था, लेकिन लालू सिद्दीकी पुलिस के सबूत के तौर पर कोई कागजात नहीं दिखा सका। घाटकोपर पुलिस को शक है कि गिरफ्तार लालू सिद्दीकी बांग्लादेश का नागरिक हो सकता है। घाटकोपर की आतंकवाद विरोधी पथक ने लालू को हिरासत में ले लिया है और आगे मामले की जांच की जा रही है।
संतों को बदनाम करने की है साजिश
दुर्भाग्य की बात है कि भारत देश में साधु-संतों को बदनाम करने की साजिश आजादी के बाद से ही चलाई जा रही है। धार्मिक स्थलों पर भी अन्य धर्म के लोग तथा चोर और गुंडे संतों का भेष धारण कर लोगों को लूटते हैं, जिसकी वजह से सारा संत समाज बदनाम होता है। संतों को बदनाम करने वाले तथा फर्जी संतों के खिलाफ ऐसा कड़ा कानून बनाया जाना चाहिए कि उनको जल्दी जमानत न मिल सके, तभी संत समाज को बदनाम करने वालों पर लगाम लगाई जा सकेगी।
आचार्य रमाकांत पांडे
संत रामानंद मिशन, राघव परिवार