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मेरा `बाबाजी’ करेंगे बेड़ा पार! उदासी`नेता’ काहे को डरे

मध्यप्रदेश की राजनीति में पिछले कुछ समय से बाबा बागेश्वर धाम सरकार के लिए काफी महत्वपूर्ण हो गए हैं। हर दल का नेता उनके करीब आना चाहता है। उसे लगता है कि ऐसा करने से आगामी चुनाव में उसका बेड़ा पार हो जाएगा। अब एमपी कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ अपने गृह क्षेत्र छिंदवाड़ा में बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री की तीन दिवसीय ‘कथा’ का आयोजन कर रहे हैं। शास्त्री हाल ही में हिंदू राष्ट्र के अपने मिशन के बारे में मुखर रहे हैं। इसी साल मई में पटना में उनकी कथा के दौरान मंच पर भाजपा के तमाम बड़े नेता मौजूद थे। शास्त्री उन बाबाओं में से एक हैं, जिनकी इस समय एमपी में काफी मांग है।
गत मई में गुना के भाजपा नेता नीरज निगम ने शास्त्री का तीन दिवसीय कार्यक्रम आयोजित किया था। उस कार्यक्रम के बाद शास्त्री कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह और उनके विधायक बेटे जयवर्धन सिंह से मिलने राघोगढ़ किले पर गए थे। बाबा के बारे में जयवर्धन सिंह कहते हैं, ‘पंडित शास्त्री से मेरी पहली मुलाकात जनवरी २०२१ में छतरपुर में हुई थी, जब वह देश में कोई बड़ा नाम नहीं थे। उस समय मेरे पिता दिग्विजय सिंह ने उन्हें राघोगढ़ में आमंत्रित किया था। मुझे इसमें कुछ भी गलत नहीं दिखता।’ २०१८ में केंद्र में थे `कंप्यूटर बाबा’
मध्य प्रदेश की राजनीति में राजनीतिक संन्यासी की हमेशा अहम भूमिका रही है। जब एक पक्ष किसी खास बाबा के करीब हो जाता है तो दूसरा पक्ष खाली नहीं बैठ सकता। यह उन्हें पार्टी लाइनों से ऊपर उठकर राजनीतिक रूप से प्रासंगिक बनाता है। २०१८ विधानसभा चुनाव के दौरान ‘कंप्यूटर बाबा’ खुलकर कांग्रेस का समर्थन कर रहे थे। पंडित रविशंकर यानी रावतपुरा सरकार लहार विधायक और नेता प्रतिपक्ष गोविंद सिंह के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई लड़ रहे हैं। २० साल पहले रविशंकर ने गोविंद सिंह को हराने की कसम खाई थी और जो भी उनके खिलाफ खड़ा होगा, उसका समर्थन करेंगे। हालांकि, सिंह अब तक सफल रहे हैं। इस बार भी रविशंकर ने लहार से भाजपा से टिकट के दावेदार पूर्व सांसद अशोक अर्गल को अपना समर्थन दिया है। दूसरी ओर, पंडोखर सरकार खुलकर गोविंद सिंह का समर्थन कर रहे हैं और उन्होंने धीरेंद्र शास्त्री पर भाजपा के लिए काम करने का आरोप भी लगाया है। मालवा के कमल किशोर नगर के पास भाजपा और कांग्रेस दोनों के नेता आते हैं। जैसा कि नेता दैवीय हस्तक्षेप की मांग कर रहे हैं, ये देवता मध्य प्रदेश में एक क्षेत्र दिवस मना रहे हैं। अब देखना है कि इस बार के विधनसभा चुनाव में किस बाबा का पलड़ा भारी बैठता है।

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