माखन चोर नटखट मेरे कृष्ण मुरारी हैं
उनकी लीला पर हो जाता मन बलिहारी है
नंद के लाला मात यशोदा के सुत प्यारे हैं
मन को मोहे देखो उन की सूरत प्यारी है
राधा के संग सोहे उनकी पावन मुरत है
साथ नाचती देखो कितनी सखियाँ दुलारी हैं
ब्रज का मन बसता गोपाल की बंसी धुन में है
सब का मन आनंद करे वो
छवि ही न्यारी है
कंस को मार त्राण दिया जग को
कृष्ण ही जीवन कृष्ण ही जग की माया सारी है
डॉ कनक लता तिवारी
मुंबई