मेरी मां है

बदलती, है जो किस्मत
उस पे है, तेरी रहमत
जो बरसों से, बरसों के बाद
कभी रहती हैं, तू मेरे साथ
तू सच है, ये कहे बगैर
दिल कहता है
कभी गलती जो होती
तो चुप कर लेती
तू मां है, तू ही तो मेरी मां है
वो बचपन मे, हाथ की चोटें
आज भी वो, लगते हैं मेरे रिश्तों में
अपना थोड़ा सा भी, दर्द जो
बांट कर छुपाए, पूछूं तो वो ना कर जाए
जो भी हो दिल में,
खुशियों के अलावा, कुछ न दे पाए
तू मां है, तू ही तो मेरी मां है
-मनोज कुमार
गोंडा, उत्तर प्रदेश

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