मुख्यपृष्ठसमाचारतुलसीघाट पर संपन्न हुआ नाग नथैय्या श्रीकृष्ण लीला

तुलसीघाट पर संपन्न हुआ नाग नथैय्या श्रीकृष्ण लीला

 

गोस्वामी तुलसी दास द्वारा स्थापित इस लीला को देखने उमड़ा भारी हुजूम

उमेश गुप्ता/वाराणसी
काशी के तुलसीघाट पर 400 साल से भी पुरानी परंपरा ‘नाग नथैया’ लीला मंगलवार को फिर जीवंत हो उठी। इस दौरान गंगा किनारे आस्था और विश्वास के अटूट संगम का नजारा देखने को मिला। यहां की गंगा कुछ समय के लिए यमुना में परिवर्तित हो गई और गंगा तट पर हजारों वर्ष पुरानी वृंदावन की प्रमुख लीला दोहराई गई।

इस लीला के प्रारंभ में दिखाया गया कि भगवान श्री कृष्ण अपने बाल सखाओं के फूलों के द्वारा बनाए गए गेंद से खेलते हैं। खेलते खेलते गेंद अचानक से यमुना रूपी गंगा में चली जाती है। इसके बाद बाल सखा भगवान श्री कृष्ण से गेंद लाने का हट करने लगते हैं जिसपर भगवान श्री कृष्ण ने कदंब के पेड़ पर चढ़ कर अचानक गंगा में छलांग लगा देते हैं। जब इस बात का पता गोकुलवासियों को होता है तो वहां कोहराम मच जाता है, क्योंकि उन दिनों यमुना नदी में जहरीले कालिया नाग का वास था काफी देर बाद भगवान श्री कृष्ण कालिया नाग का मर्दन कर बाहर निकलते हैं। इसके बाद कोहराम उल्लास में बदल जाता है और चारों तरफ जय कन्हैया लाल की का उद्घोष होने लगता है। कुछ ऐसा ही नजर मंगलवार को काशी के तुलसी घाट पर गंगा किनारे दिखा। इस अद्भुत पलों के दर्शन के लिए घाटों-छतों से गंगा में नावों-बजड़ों तक जनसैलाब उमड़ा था।

कालिया नाग के फन पर बांसुरी बजाते कान्हा का दर्शन की अनूठी झांकी हर किसी को भावविह्वल कर गई। इसके साथ ही जिला स्थल पर उपस्थित दर्जनों की संख्या में डमरू दलों ने डमरू के वार्ड से वातावरण को भक्तिमय बना दिए थे। इन अलौकिक पलों को अपने कैमरों और मोबाइल में कैद करने की होड़ मची रही।

अखाड़ा गोस्वामी तुलसीघाट की ओर से ‘नाग नथैया’ के आयोजन की परंपरा साढ़े चार सौ साल से अधिक पुरानी है। इसकी शुरुआत गोस्वामी तुलसीदास ने की थी। काशी के लक्खा मेलों में शुमार नाग नथैया देखने के लिए दोपहर बाद से ही भीड़ जुटने लगी थी।

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