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नमस्ते सामना: गजल

ये दावा है उनका छुपाते नहीं हैं!
मगर बात कोई बताते नहीं हैं….
सुनाते हैं जाने वो क्या-क्या कहानी,
कभी हाल दिल का सुनाते नहीं हैं…
हकीकत दिखेगी भला वैâसे उनको,
निगाहों से पर्दा हटाते नहीं हैं…….
बनाते हैं बातें इधर की उधर की,
बुलाने पे लेकिन वो आते नहीं हैं!
किसी की मुहब्बत मयस्सर हो वैâसे,
किसी एक से दिल लगाते नहीं हैं….
पढ़ा ही नहीं पाठ जिसने वफ़ा का,
वो रिश्ता किसी से निभाते नहीं हैं।।
-अभिलाषा देशपांडे, डोम्बिवली

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