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राकांपा की ओर से बागियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू

सामना संवाददाता / मुंबई
अजीत पवार के बगावत किए जाने के बाद राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी द्वारा आक्रामक भूमिका अख्तियार की गई है। बागियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी है। राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रदेश महासचिव शिवाजी गर्जे राजभवन में हुए शपथ विधि समारोह में उपस्थित थे। उनके खिलाफ हकालपट्टी की कार्रवाई की गई है। इसके साथी अकोला शहर जिला अध्यक्ष विजय देशमुख, मुंबई विभाग पार्टी के अध्यक्ष नरेंद्र राणे के खिलाफ हकालपट्टी की कार्रवाई की गई है। महाराष्ट्र की वर्तमान सरकार में शामिल होनेवाले उपमुख्यमंत्री सहित अन्य मंत्रियों के शपथ विधि २ जुलाई २०२३ को संपन्न हुई। इस शपथ विधि में गर्जे और विजय देशमुख उपस्थित थे। उनका यह कृत्य पार्टी अनुशासन के साथ-साथ पार्टी नीति के भी विरुद्ध है, इसलिए उन्हें बर्खास्त किया जा रहा है।
साथ ही राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का नाम, चिह्न आदि का भी उपयोग न करें, अन्यथा आपके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।

राकांपा ने की पटेल और तटकरे की सदस्यता रद्द!

सुनील तटकरे-प्रफुल्ल पटेल और अजीत पवार ने राकांपा से बगावत की है। एनसीपी के कई विधायक, सांसद, नेता अजीत पवार के साथ हैं। अजीत पवार और एनसीपी के नौ विधायकों ने भाजपा (राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के रूप में) महायुति में शामिल हो गए हैं। इसमें शरद पवार के अत्यंत विश्वासपात्र माने जानेवाले पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और सांसद सुनील तटकरे अजीत पवार के साथ दिखाई दिए। इससे शरद पवार काफी नाराज हैं। प्रफुल्ल पटेल और सुनील तटकरे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की कार्यकारिणी के सदस्य थे। इन दोनों नेताओं को पार्टी में बड़े पदों से नवाजा गया था। इसके बाद भी दोनों नेताओं ने राकांपा से बगावत की। इसके बाद इन दोनों नेताओं का नाम एनसीपी के सदस्यता रजिस्टर से हटा दिया गया है, यानी इनकी सदस्यता रद्द कर दी गई है। इस बात की जानकारी एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने खुद ट्विटर पर दी है। शरद पवार ने ट्वीट किया है कि मैं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के रूप में पार्टी विरोधी गतिविधियों के लिए सुनील तटकरे और प्रफुल्ल पटेल के नाम राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के सदस्यता रजिस्टर से हटाने का आदेश दे रहा हूं। सुनील तटकरे पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव थे और उन्हें ओडिशा, पश्चिम बंगाल का प्रभार दिया गया था। राष्ट्रीय स्तर की समिति की बैठकें, संसद सत्र, चुनाव आयोग, अल्पसंख्यक मुद्दे उन्हें सौंपे गए थे। प्रफुल्ल पटेल पार्टी के कार्यकारी अध्यक्ष थे। उन्हें मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, झारखंड, गोवा राज्यों की जिम्मेदारी सौंपी गई थी, साथ ही राज्यसभा में पार्टी के कामकाज और वित्तीय मामलों जैसे मुद्दों की जिम्मेदारी पटेल को सौंपी गई थी।

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