पिछले डेढ़ महीने से बंद है सेवा
सामना संवाददाता / मुंबई
केईएम अस्पताल के दो शव वाहन ड्राइवर के अभाव के कारण डेढ़ महीने से गैरेज में खड़े हैं, ऐसे में मृतक के परिजनों को शव ले जाने के लिए निजी शव वाहन पर निर्भर रहना पड़ रहा है। मनपा की अनदेखी के कारण उन्हें दोगुना किराया देना पड़ रहा है। परिणामस्वरूप इससे मृतकों के परिजन परेशान हो चुके हैं। कई मृतकों के परिजनों की माली हालात सही न होने के कारण उन्हें अधिक पैसे देने में पड़ रहे हैं, जो उनके वित्तीय संकट को और बढ़ाने का काम कर रहा है।
मनपा के चार मुख्य और १५ उपनगरीय अस्पतालों में प्रतिदिन हजारों मरीज उपचार के लिए आते हैं। इसमें गरीब वर्ग के मरीजों की संख्या अधिक है। मनपा के प्रत्येक अस्पताल में शव वाहन हैं और इसकी सेवा नि:शुल्क प्रदान की जाती है। हालांकि, ड्राइवरों की कमी के कारण केईएम अस्पताल के दो शव वाहन पिछले डेढ़ महीने से बंद हैं। इसका फायदा उठाते हुए ‘केईएम’ परिसर में खड़े रहनेवाले निजी शव वाहन मालिकों ने सामान्य दरों से अधिक शुल्क लेना शुरू कर दिया है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के पूर्व नगरसेवक व महाराष्ट्र वाहतुक सेना के उपाध्यक्ष सचिन पडवल का कहना है कि मृतकों के रिश्तेदारों को अत्यधिक किराया चुकाकर निजी शव वाहन की सेवाओं का सहारा लेना पड़ता है, जो उन्हें और अत्यधिक वित्तीय संकट में डालने का काम कर रहा है।
इसलिए नहीं मिल रहे चालक
पडवल ने बताया कि शव वाहन बंद होने के बारे में जब मनपा के परिवहन विभाग से संपर्क किया गया तो जवाब मिला कि ड्राइवर उपलब्ध नहीं है। मनपा में ठेका के आधार पर ड्राइवरों की नियुक्ति की जाती है। फिर ड्राइवर वैâसे उपलब्ध नहीं हैं। उन्होंने पूछा कि अगर ‘केईएम’ जैसे भीड़भाड़वाले अस्पताल में शव वाहन सेवा डेढ़ महीने तक बंद हो तो आम लोग क्या करें। पडवल ने वर्ली मनपा के परिवहन विभाग के इंजीनियर को शव वाहन सेवा फिर से शुरू करने के लिए पत्र लिखा है। पडवल ने चेतावनी दी है कि हम कुछ दिन इंतजार करेंगे, नहीं तो जवाब मांगेंगे।