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ड्राइविंग लाइसेंस देने में लापरवाही … सड़कें बन रहीं लोगों का काल! लाइसेंस के सिर्फ २.४ प्रतिशत आवेदक हुए फेल

सामना संवाददाता / मुंबई
ड्राइविंग लाइसेंस प्रदान करने में उचित जांच की कमी और कानून में खामियों के कारण महाराष्ट्र में सड़क दुर्घटनाएं बढ़ रही हैं, ऐसा जानकारों का कहना है।
महाराष्ट्र परिवहन विभाग द्वारा शेयर किए गए आंकड़ों के अनुसार, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करनेवाले ३२.०४ लाख नागरिकों में से ९७.२४ प्रतिशत ने टेस्ट पास किया था, जबकि केवल २.४ प्रतिशत विफल रहे और ०.३६ प्रतिशत नहीं आए।
आंकड़ों में कहा गया है कि महाराष्ट्र में ५० क्षेत्रीय परिवहन कार्यालयों (आरटीओ) में से १४ में ड्राइविंग टेस्ट आवेदकों में फेल होनेवाले आवेदकों की दर १ प्रतिशत से भी कम थी, जबकि केवल ६ आरटीओ में आवेदकों की विफलता दर ५ प्रतिशत से अधिक थी।
गंभीर बात यह है कि कुछ आरटीओ कार्यालयों में विफलता दर ०.५० प्रतिशत से भी कम थी और कुछ में यह ७-८ प्रतिशत से अधिक थी। विशेषज्ञों का कहना है कि यह समझना मुश्किल है कि राज्य की सड़कों पर दुर्घटनाओं की खतरनाक संख्या को देखते हुए कितने ड्राइवर ड्राइविंग टेस्ट पास कर रहे हैं।
यूनाइटेड वे मुंबई एनजीओ के परियोजना निदेशक अजय गोवाले ने कहा, ‘हर गुजरते दिन के साथ, हम भयानक सड़क दुर्घटनाओं के बारे में सुनते हैं, जहां कई निर्दोष लोग जीवन गंवा दे रहे हैं। आवेदकों के सुरक्षित ड्राइविंग स्किल्स की गंभीर रूप से जांच करने की प्रक्रिया में सुधार करने की आवश्यकता है। इससे यह सुनिश्चित होगा कि केवल कुशल ड्राइवरों को ही अनुमति दी जाए।’
आवेदकों के ड्राइविंग कौशल और यातायात नियमों और विनियमों के ज्ञान का आकलन करने के लिए आरटीओ द्वारा ड्राइविंग टेस्ट आयोजित किए जाते हैं। हालांकि, ड्राइविंग टेस्ट देने से पहले आवेदकों को लर्निंग लाइसेंस हासिल करना होता है, जो छह महीने के लिए वैध होता है। दिलचस्प बात यह है कि ड्राइविंग लाइसेंस टेस्ट की तुलना में २०२२ में लर्निंग लाइसेंस टेस्ट की विफलता दर अधिक थी, यह परिवहन विभाग के रिकॉर्ड से पता चला। २०२२ में लर्निंग लाइसेंस के लिए १८.८० लाख आवेदकों में से ९.२३ प्रतिशत (१.७३ लाख) परीक्षा में असफल रहे थे।
परिवहन विभाग द्वारा साझा किए गए दुर्घटना के आंकड़ों के अनुसार, पिछले साल राज्य में हुई ३३,०६९ सड़क दुर्घटनाओं में कम से कम १४,८८३ लोग मारे गए और २७,२१८ घायल हुए।

ड्राइविंग टेस्ट को महज फॉर्मेलिटी माना जाता है
विशेषज्ञों का आरोप है कि अधिकांश आरटीओ में ड्राइविंग टेस्ट को महज एक फॉर्मेलिटी माना जाता है और ड्राइविंग कौशल का ठीक से परीक्षण किए बिना स्थाई ड्राइविंग लाइसेंस दिया जाता है। इतनी कम विफलता दर केवल सिस्टम में खामी की पोल खोलती है। पुणे के एनजीओ के प्रोजेक्ट डायरेक्टर ने कहा कि ‘हर खराब ड्राइवर एक बार सड़क पर आ जाता है तो वह खुद और दूसरों के लिए भी खतरा होता है। ऐसे लाखों ड्राइवर आनेवाले दशकों तक सड़कों पर रहेंगे।’ महाराष्ट्र के परिवहन आयुक्त विवेक भीमनवार ने कहा कि मोटर वाहन निरीक्षक ड्राइविंग परीक्षण करते हैं और उम्मीदवार उनके निर्णय के आधार पर उत्तीर्ण या अनुत्तीर्ण होते हैं।

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