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न बेटा, न पत्नी… किसी को जीत नहीं दिला पाए दादा… अजीत गुट सिर्फ एक सीट पर सिमटा

सामना संवाददाता / मुंबई

लोकसभा चुनाव के नतीजे मंगलवार को घोषित हो गए। देश और महाराष्ट्र में एनडीए को अपेक्षित सफलता नहीं मिली। महाराष्ट्र में महायुति को सिर्फ १७ सीटें मिलीं। इसमें बीजेपी ९ सीटें, शिंदे गुट को ७ सीटें और अजीत पवार गुट सिर्फ एक सीट जीतने में कामयाब रही। कुल मिलाकर अजीत पवार न तो बेटे और न ही पत्नी को सांसद बना सके। इस चुनाव में उनकी पत्नी सुनेत्रा पवार को तगड़े हार का सामना करना पड़ा।
उल्लेखनीय है कि लोकसभा चुनाव से पहले अजीत पवार, राकांपा के विधायकों और सांसदों के साथ मिलकर बगावत की। इसके साथ ही राकांपा पार्टी के साथ ही चिह्न भी हासिल कर लिया। इस बगावत के बाद राज्य का ध्यान इस बात पर था कि बारामती निर्वाचन क्षेत्र में क्या होगा। शरद पवार की पार्टी एनसीपी ने यहां से सुप्रिया सुले को टिकट दिया था। अजीत पवार ने उनके खिलाफ अपनी पत्नी को मैदान में उतारा इसलिए सभी की निगाहें इस बात पर थीं कि ननद-भोजाई की लड़ाई में कौन जीतेगा। चुनाव प्रचार के दौरान माहौल गरम रहा। शरद पवार ने एक-एक कर पन्ने खोलते हुए अपने पुराने सहयोगियों से मिलना शुरू किया। उधर अजीतदादा धमकी के साथ ही पैसों का लालच भी दिखाए, लेकिन नतीजे के दिन ये साफ हो गया कि बारामती की जनता शरद पवार के साथ है। बारामती से सुप्रिया सुले डेढ़ लाख से ज्यादा वोटों से जीतीं।
बेटा भी देख चुका है हार का मुंह
पिछले लोकसभा चुनाव में अजीत पवार ने अपने बेटे पार्थ को मावल सीट से मैदान में उतारा था। दिलचस्प बात यह है कि उस वक्त ऐसी चर्चा थी कि शरद पवार पार्थ के नाम के खिलाफ थे। फिर भी अजीत पवार ने बेटे को मैदान में उतारा, लेकिन उन्हें हरा का सामना करना पड़ा था।
अमोल मिटकरी का सनसनीखेज आरोप
इस बीच अजीत पवार गुट के विधायक अमोल मिटकरी ने बारामती में हार के लिए बीजेपी और शिंदे गुट को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र और बारामती में सुनेत्रा पवार की हार सिर्फ इसलिए हुई, क्योंकि अजीत दादा को बीजेपी और शिंदे के वोट नहीं मिले। उन्होंने यह भी दावा किया कि सुनेत्रा पवार को मिले वोट अजीत दादा के ही थे।

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