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नया आयकर स्लैब, मिडिल क्लास की आंखों में धूल! … नौकरी-पेशा वर्ग हुआ नाराज

यदि नई कर प्रणाली में करमुक्त आय को ३ लाख से बढ़ाकर ५ लाख कर दिया जाता तो १५ लाख की वार्षिक आय वाले व्यक्ति को ६० हजार रुपए की बचत होती।

सामना संवाददाता / मुंबई
कल पेश हुए बजट से मिडिल क्लास को काफी उम्मीदें थीं कि इस बार इनकम टैक्स की छूट का दायरा बढ़ेगा। मगर जब वित्त मंत्री ने इस बारे में घोषणा की तो काफी देर तक लोगों को समझ में ही नहीं आया कि उनके साथ हुआ क्या? काफी देर विचार-विमर्श के बाद जाकर पता चला कि मोदी सरकार ने मिडिल क्लास की आंखों में धूल झोंका है। इससे मुंबई में रहनेवाला नौकरी-पेशा वर्ग खासा नाराज हो गया है।
बता दें कि पुरानी टैक्स व्यवस्था में कोई सुखद बदलाव नहीं किया गया है, जिससे करदाता परेशान हैं। अर्थशास्त्री अब दावा कर रहे हैं कि नए टैक्स स्लैब में छूट महज धूल है। इस मामले में कर विशेषज्ञ मनोज गोयल ने कहा है कि यदि नई कर प्रणाली में करमुक्त आय को ३ लाख से बढ़ाकर ५ लाख कर दिया जाता तो १५ लाख की वार्षिक आय वाले व्यक्ति को ६० हजार रुपए की बचत होती। इस बारे में मुंबईकर पूजा मिश्रा का कहना है कि अब तक ५ लाख तक की आय वालों को टैक्स नहीं भरना पड़ता था, लेकिन अब टैक्स देने की सीमा में बदलाव से ३ से ७ लाख तक की आय वालों को ५ प्रतिशत का टैक्स भरना होगा। एक तो इतनी महंगाई और ऊपर से टैक्स के बोझ में आम जनता परेशान हो गई है।

नया बजट में काटी
आम आदमी की जेब!
मुंबईकरों में तीव्र नाराजगी
नया बजट में इनकम टैक्स के छलावे ने आम लोगों को परेशान कर दिया है। आम आदमी का मानना है कि सरकार ने बड़ी सफाई के साथ उसकी जेब काटी है। नए टैक्स सिस्टम में संशोधित टैक्स स्लैब के मुताबिक, ३ से ७ लाख तक की आय पर ५ फीसदी टैक्स देना होगा। इस बारे में ठाणे में रहनेवाले विनय सिंह ने कहा कि आम जनता को टैक्स में रियायत की उम्मीद थी, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और अब तो टैक्स की सीमा को घटा देने से आम जनता और भी परेशान होती नजर आएगी। यह बिल्कुल वाहियात बजट है। इसमें जनता की लूट निश्चित हैं।
इस बारे में मुंबईकर सिद्धार्थ चौधरी का कहना है कि सरकार का यह पैâसला मध्यम वर्ग के लोगों पर अतिरिक्त बोझ डालता है, जो पहले से ही महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहे हैं। इस निर्णय से गरीब और निम्न मध्यम वर्ग के लोगों की आर्थिक स्थिति और बिगड़ जाएगी, जिन्हें सबसे ज्यादा राहत की जरूरत है। इसी तरह अमृत श्रीवास्तव का कहना है कि इनकम टैक्स में इस तरह का बदलाव सरकार की नीतियों की विफलता को दर्शाता है, जो समाज के निचले तबके की समस्याओं को हल करने में असफल रही है। ३ लाख से ७ लाख तक की आय पर ५ प्रतिशत ब्याज लगाना एक अन्यायपूर्ण कदम है, जो आम आदमी की जेब पर सीधा हमला है। बता दें कि नए टैक्स स्लैब में ७ से १० लाख की आय पर १० फीसदी टैक्स देना होगा। १० से १२ लाख की आय पर १५ प्रतिशत, १२ से १५ लाख की आय पर २० प्रतिशत और १५ लाख से अधिक की आय पर ३० प्रतिशत। लेकिन टैक्स विशेषज्ञ कह रहे हैं कि इनकम टैक्स में यह छूट बहुत मामूली है। टैक्स एक्सपर्ट मनोज गोयल ने कहा कि टैक्स में छूट ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। कुल मिलाकर जिनकी आय वेतन से नहीं है, उन्हें १० हजार का फायदा होगा। उन्होंने कहा कि जो लोग मजदूर वर्ग से हैं, मानक कटौती में २५,००० की बढ़ोतरी से उन्हें १७,५०० रुपए की बचत होगी। आज की महंगाई को देखते हुए मजदूर वर्ग को काफी उम्मीदें थीं। लेकिन उनकी उम्मीदों पर पानी फिर गया है। पहला स्लैब ०-३ लाख की जगह ०-५ लाख होना चाहिए था और ये स्लैब पूरी तरह से टैक्स प्रâी होना चाहिए था। इसी तरह अगला टैक्स स्लैब भी बढ़ाया जाना चाहिए था। इसके चलते यह टैक्स छूट ऊंट के मुंह में जीरे के समान है। गोयल ने कहा कि अगर करमुक्त आय की सीमा ३ लाख रुपए से बढ़ाकर ५ लाख रुपए कर दी जाती, तो १५ लाख रुपए की वार्षिक आय वाले व्यक्ति को ६०,००० रुपए की बचत होती। इससे करदाताओं को ज्यादा फायदा नहीं मिलेगा। करदाताओं को दी गई राहत को देखते हुए सरकार पर ३७,५०० करोड़ का बोझ पड़ेगा, लेकिन सरकार इस सिस्टम से ३० हजार करोड़ रुपए भी वसूलेगी।

संशोधन नहीं दिखा
४३बी (एच) के मुद्दे पर पूरे देश को संशोधन का इंतजार था। परंतु ऐसा कोई भी संशोधन बजट में नहीं दिखा। एमएसएमई के लिए ६ हजार करोड़ रुपए दिया जाना स्वागत योग्य है। क्योंकि इस सेक्टर का देश की अर्थव्यवस्था में ५०ज्ञ् योगदान है।
-अजय सिंघानिया, भारत मर्चेंट्स चेंबर

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