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ईडी सरकार का नया फरमान … कार खरीदने से पहले पार्किंग दिखाओ!

सामना संवाददाता / मुंबई
मुंबई और उसके आसपास के शहरों में बढ़ते टै्रफिक जाम, प्रदूषण और पार्किंग की समस्या को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने नया कदम उठाया है। अगर आप नई कार खरीदने का मन बना रहे हैं तो अब आपको अपने वाहन के रजिस्ट्रेशन के लिए एक नया प्रमाण पत्र दिखाना होगा, वह है ‘सर्टिफाइड पार्किंग एरिया’ (सीपीए) प्रमाणपत्र। जी हां, अब कार खरीदने से पहले यह साबित करना होगा कि आपके पास अपनी कार खड़ी करने के लिए एक निश्चित पार्किंग स्थल है।
राज्य परिवहन विभाग ने यह योजना प्रस्तावित की है, जिसके अनुसार, अब वाहन रजिस्ट्रेशन के समय खरीदारों को एक सीपीए प्रमाणपत्र दिखाना होगा। यह प्रमाण पत्र बीएमसी द्वारा जारी किया जाएगा और परिवहन विभाग द्वारा प्रमाणित होगा। अगर आपके घर के पास या किसी अन्य स्थान पर कार पार्किंग करने के लिए वैध पार्किंग स्पेस नहीं है तो आप नई कार नहीं खरीद पाएंगे।
सरकार के मुताबिक, बढ़ते वाहनों की संख्या, सड़क पर जाम और पार्किंग की कमी से न केवल ट्रैफिक समस्या बढ़ रही है, बल्कि प्रदूषण भी बढ़ रहा है। राज्य परिवहन आयुक्त विवेक भिमनवार के अनुसार, हाल के समय में सड़क पर वाहनों की संख्या में बेतहाशा वृद्धि हुई है, जिससे पार्किंग और जाम की समस्या गंभीर हो गई है।
यह प्रस्ताव नई कारों के लिए लागू होगा, जबकि १५ साल से पुरानी कारों को सीपीए प्रमाणपत्र तब दिखाना होगा, जब वे अपनी फिटनेस प्रमाण पत्र का नवीनीकरण करवाएंगी। वहीं दोपहिया और तीन पहिया वाहन इस नियम से बाहर रहेंगे।
सरकार का कहना है कि इस कदम से सड़कों पर वाहनों की संख्या नियंत्रित होगी और ट्रैफिक जाम की समस्या में कमी आएगी। यह योजना मुंबई जैसे बड़े शहरों के साथ-साथ नागपुर और पुणे जैसे शहरों में भी लागू की जाएगी। इसके अलावा पब्लिक ट्रांसपोर्ट का स्तर भी बढ़ाया जाएगा जिससे लोगों को निजी वाहन कम इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित किया जाएगा। यह योजना हालांकि बुरी नहीं है, लेकिन इसकी कुछ चुनौतियां भी हैं सबसे बड़ी चुनौती यह होगी कि पुराने भवनों में पार्किंग स्पेस की कमी हो सकती है, क्योंकि यह भवन १९९० के दशक में बनाए गए थे, जब वाहनों की संख्या इतनी ज्यादा नहीं थी। इसके अलावा इस नीति को लागू करने में स्थानीय समितियां और हाउसिंग सोसाइटियों के बीच तालमेल बिठाना होगा।

क्या होंगे अगले कदम?
विभाग ने यह योजना चरणबद्ध तरीके से लागू करने का निर्णय लिया है। इसका मतलब यह है कि सरकार की बाकी योजनाओं की तरह यह योजना भी धीरे-धीरे लागू होगी। पहले इसके लिए पब्लिक और प्राइवेट पार्विंâग स्पेस की पहचान की जाएगी। इसके बाद सरकारी अधिकारी, हाउसिंग मंत्रालय पीडब्ल्यूडी, शहरी विकास विभाग और एमएमआरडीए जैसे विभिन्न स्टेट होल्डर्स इस नीति को लागू करने के लिए काम करेंगे।

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