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सुभाष ठाकुर केस में नया मोड़…डॉक्टरों की भूमिका संदिग्ध…CP ने गठित की जांच कमेटी…अब भेजा जाएगा मुंबई

उमेश गुप्ता / वाराणसी

बीएचयू के सर सुंदरलाल अस्पताल के नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टरों की अंडरवर्ल्ड डॉन सुभाष ठाकुर से मिलीभगत के मामले की जांच शुरू हो गई है। पुलिस कमिश्नर मोहित अग्रवाल ने अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक को पत्र लिखकर डॉक्टरों की भूमिका की जांच के निर्देश दिए हैं। डॉक्टरों ने 15 जनवरी को सुभाष ठाकुर को वायरल संक्रमण का शिकार बताया था, लेकिन पुलिस द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने इसे गलत ठहराया। मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट आने के बाद ही 5 साल 2 महीने बाद सुभाष ठाकुर को बीएचयू से फतेहगढ़ जेल भेजा गया।
सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति के बाद तेज हुई कार्रवाई
सुप्रीम कोर्ट की नाराजगी के बाद इस मामले में तेजी आई। ठाकुर के जेल जाने के बाद पुलिस अब उन डॉक्टरों की भूमिका की जांच कर रही है, जिन्होंने उसे अनुचित लाभ देने की कोशिश की। पुलिस कमिश्नर ने स्पष्ट किया कि यदि डॉक्टर दोषी पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई होगी और जिला प्रशासन को भी सूचित किया जाएगा।
पूरा घटनाक्रम :
17 दिसंबर 2024: दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने पहले दिए गए आदेश को निरस्त कर दिया, जिसमें ठाकुर को अस्पताल से डिस्चार्ज न करने को कहा गया था। बीएचयू के सुपर स्पेशियलिटी ब्लाक में तीसरे तल पर नेफ्रोलाजी विभाग का कमरा नंबर 21, यहीं भर्ती था सुभाष ठाकुर।
13 जनवरी 2025: फतेहगढ़ सेंट्रल जेल के वरिष्ठ अधीक्षक ने बीएचयू के चिकित्सा अधीक्षक को पत्र लिखकर सुभाष ठाकुर को डिस्चार्ज करने की मांग की।
15 जनवरी 2025: नेफ्रोलॉजी विभाग के डॉक्टरों ने रिपोर्ट में कहा कि ठाकुर वायरल संक्रमण से ग्रसित है और उसे डिस्चार्ज नहीं किया जा सकता।
22 जनवरी 2025: पुलिस कमिश्नर द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड ने ठाकुर को पूरी तरह स्वस्थ बताया।
27 जनवरी 2025: कड़ी सुरक्षा के बीच ठाकुर को फतेहगढ़ जेल भेजा गया।
सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद खुलासा
सुप्रीम कोर्ट को जब यह पता चला कि बीएचयू के डॉक्टरों की रिपोर्ट ठाकुर के पक्ष में थी, तो उसने इस पर सख्त आपत्ति जताई। कोर्ट ने पटियाला हाउस अदालत से भी सवाल किए और उसके बाद दिल्ली की अदालत ने अपने पुराने आदेश को निरस्त कर दिया।
कौन है सुभाष ठाकुर उर्फ बाबाजी?
वाराणसी के फूलपुर नेवादा का रहने वाला अशोक सिंह उर्फ सुभाष ठाकुर उर्फ बाबाजी अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम का गुरु माना जाता है। 1992 में मुंबई के जेजे अस्पताल शूटआउट में दाऊद के कहने पर उसने शैलेश हल्दनकर की हत्या करवाई थी। इसके बाद 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के बाद उसने दाऊद से अपने रास्ते अलग कर लिए।
सुभाष ठाकुर पिछले 5 वर्षों से बीएचयू अस्पताल में रहते हुए अपराध जगत को संचालित कर रहा था। मुंबई के एक बिल्डर की हत्या में भी उसका नाम आया था, लेकिन उसकी मेडिकल रिपोर्ट के कारण पुलिस उसे रिमांड पर नहीं ले पा रही थी। अब पुलिस द्वारा गठित मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट और सुप्रीम कोर्ट की आपत्ति के बाद उसे जेल भेज दिया गया है। अब इस पूरे मामले में डॉक्टरों की भूमिका की जांच की जा रही है। दोषी पाए जाने पर उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

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