भाजपा को ले जाना है बहुमत के पार
कई छोटे दलों और निर्दलीयों पर भी नजर
सामना संवाददाता / पटना
पिछले काफी समय से बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं से जूझ रहे हैं। इसमें सबसे बड़ी समस्या उनकी याददाश्त से जुड़ी है। खासकर हालिया लोकसभा चुनाव में तो नीतीश की भूलने की आदत सार्वजनिक मंचों से कई बार उजागर हुई है। यहां के राजनीतिक हलकों में ऐसी चर्चाएं चल रही हैं कि नीतीश की बिगड़ती तबीयत को देखते हुए भाजपा का स्लीपर सेल सक्रिय हो गया है। अब यह स्लीपर सेल जेडीयू में तोड़फोड़ करके उसे निपटाने की रणनीति में जुट गया है।
गौरतलब है भाजपा अपने सहयोगी से पहले तो बहुत प्यार से बात करती है फिर धीरे-धीरे उसे खत्म करने की योजना पर काम करने लगती है। यही कारण है कि एनडीए के कई सहयोगी उससे अलग हो गए। जब पिछली बार भाजपा को लगा उसके खिलाफ ‘इंडिया’ गठबंधन काफी मजबूती से लड़ने जा रहा है तो फिर उसे टीडीपी और जेडीयू जैसे पुराने साथियों की याद आई।
इज्जत बचाने के लिए
कैसे भी चाहिए २७२!
लाख कोशिशों के बावजूद भाजपा गत लोकसभा चुनाव में बहुमत का आंकड़ा नहीं छू पाई। इससे पीएम मोदी की काफी किरकिरी हुई है। यही कारण है कि अब भाजपा किसी भी तरह से बहुमत के आंकड़े २७२ तक पहुंचना चाहती है, ताकि किसी तरह से इज्जत बचाई जा सके। इसके लिए सबसे सॉफ्ट टारगेट उसके सहयोगी हैं। जेडीयू ने बिहार की १६ सीटों पर चुनाव लड़ा था और १२ पर जीत दर्ज की थी। नीतीश कुमार की तबीयत ठीक नहीं रहती और उनके बाद जेडीयू कौन संभालेगा, कहा नहीं जा सकता। कुछ दिन पहले नीतीश के बेटे निशांत कुमार का नाम चला था कि वे उसे अपना उत्तराधिकारी बनाना चाहते हैं। मगर उनके करीबियों का मानना है कि निशांत में लीडरशिप की क्वॉलिटी नहीं है। अगर उन्होंने पार्टी संभाली भी तो कब तक चला पाएंगे, कहा नहीं जा सकता। यही कारण है कि निशांत का नाम मीडिया में चलने के साथ ही खत्म हो गया। ऐसे में नीतीश की कमजोरी का फायदा उठाकर भाजपा नीतीश के सांसदों पर डोरे डाल सकती है। हो सकता है भाजपा पूरे के पूरे जेडीयू सांसदों को अपने कब्जे में लेकर उनका विलय भाजपा में करवा ले। अगर ऐसा होता है तो भाजपा की सीटों की संख्या २५३ तक पहुंच जाएगी। अगला नंबर आरजेडी का हो सकता है। सूत्र बताते हैं कि लालू की बेटी मीसा भारती को छोड़कर बाकी के तीन सांसदों को भाजपा तोड़ सकती है। अगर ऐसा होता है तो भाजपा की संख्या २५६ तक पहुंच जाएगी। बता दें कि जेडीयू को तोड़ने की कोशिश पूर्व में हो चुकी है और इसी कारण ललन सिंह से पार्टी की कप्तानी नीतीश ने वापस ले ली थी। चर्चा है कि भाजपा का सक्रिय सेल जेडीयू और आरजेडी के सांसदों के संपर्क में है और उनके ऊपर काफी परिष्कृत तरीके से डोरे डाले जा रहे हैं। इसके अलावा भी इस स्लीपर सेल की निगाहें कुछ अन्य छोटी पार्टियों और निर्दलीय सांसदों पर हैं, क्योंकि उन्हें आसानी से मैनेज किया जा सकता है। ऐसे में यह देखना दिलचस्प है कि आनेवाले दिनों में भाजपा का यह स्लीपर सेल अपने मिशन में सफल होता है या नहीं।