मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : पूंजीवाद की सोच ...देश के लोगों को अमीर बनाएगा

निवेश गुरु : पूंजीवाद की सोच …देश के लोगों को अमीर बनाएगा

भरतकुमार सोलंकी 
अडानी ग्रुप की प्रगति के बारे में दबी-जुबान से विरोधी चर्चा तो चल ही रही थी कि हिंडनबर्ग की रिपोर्ट ने आग में घी का काम कर दिया। जिन्होंने अपने जीवन में कभी एक घर नहीं खरीदा वे भी अडानी ग्रुप की बैलेंसशीट को लेकर मीडिया में बयानबाजी करने लगे। बिजनेस की एबीसी जिन्हें नहीं मालूम है वे लोग आज अडानी के बर्बाद होने के कयास लगा रहे हैं। संपत्ति विरोधी सोच वाले लोग तो हमारे देश में सदियों से भरे पड़े हैं।
कहा जाता है कि हिंदुस्थान एक अमीर देश है। अगर अमीर देश है तो देश के लोग गरीब क्यों हैं? हिंदुस्थान कभी अमीर हो सकता था, अमीरी पैदा करने के लिए प्रतिभा नियोजित करनी पड़ती है, जीनियस को यात्रा पकड़ानी पड़ती है, तब संपत्ति पैदा होती है, अन्यथा संपत्ति पैदा नहीं होती। संपत्ति के उत्पादक मजदूर और श्रमिक नहीं हैं। अन्यथा आदिवासी श्रम कर रहे हैं। जन्मों-जन्मों से और संपत्ति पैदा नहीं कर पाए। अप्रâीका का गरीब भी श्रम कर रहा है, लेकिन संपत्ति पैदा नहीं हो पाई। अगर श्रम संपत्ति पैदा करता तो सारी दुनिया में संपत्ति पैदा हो जाती, उत्पादक कोई और है। कोई और है प्रतिभा के पीछे, वह है पूंजीवाद। पूंजीवाद ने प्रतिभाओं को अवसर दिया है, जो संपत्ति को पैदा करे। पूंजीवाद ने बड़ा इंतजाम तो यह भी किया है कि मनुष्य की जगह मशीन को लाने की कोशिश की क्योंकि मनुष्य के हाथ से संपत्ति पैदा नहीं हो सकती। मनुष्य कितना ही श्रम कर ले, पेट भर ले तो बहुत है।
बुद्ध के जमाने में हिंदुस्थान की आबादी दो करोड़ थी। यह आबादी दो करोड़ ही रहती, ज्यादा नहीं हो सकती थी क्योंकि दस बच्चे पैदा होते और नौ बच्चों को मरना ही पड़ता। क्योंकि न तो भोजन था, न दवा थी, न जगह थी, न मकान था, न इंतजाम था। उनके शरीर को बचाने का कोई उपाय न था। पिछले डेढ़ सौ वर्षों में दुनिया में एक्सप्लोजन हुआ मनुष्य-जाति का। आज आठ अरब लोग दुनिया में पूंजीवाद की व्यवस्था के कारण जीवित हैं, अन्यथा ये जीवित नहीं रह सकते थे। पूंजीवादी व्यवस्था के बिना कल्पना के बाहर है कि आठ अरब लोग इस पृथ्वी पर जी जाएं।
हमारे देश में अडानी जैसे हजारों-लाखों लोग हो सकते थे लेकिन समाजवादी सोचते है कि एक अडानी को गिराने से पूरा देश अमीर हो जाएगा! नहीं ऐसा नहीं हो सकता है। हम अपनी हैसियत का गणित तो जेब में मौजूद हमारी करेंसी रुपए की कीमत से लगा सकते हैं। हमारे रुपए की कीमत इंटरनेशनल मार्वेâट में डॉलर के सामने सिर्फ ०.०१२ पैसे है। अडानी ग्रुप का वैल्यूएशन डॉलर टर्म में दुनिया के अमीरों की लिस्ट में गिना जाता है। पूंजीवादी विचारधारा निर्माण किए बिना देश या देश लोगों का अमीर होना असंभव है।
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

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