मुख्यपृष्ठस्तंभनिवेश गुरु : बड़ी सोच का बड़ा जादू ... जल प्रबंधन विकास...

निवेश गुरु : बड़ी सोच का बड़ा जादू … जल प्रबंधन विकास का मार्ग

भरतकुमार सोलंकी

कोई भी राष्ट्र, राज्य-प्रदेश या शहर के विकास की शोध करे तो एक राज की बात जरुर सामने आती हैं। मुंबई की प्रगति का राज, इसके विकास के सपने जिन लोगों ने भी देखे थे उनकी सोच बहुत बड़ी थी। आज मुंबई का जो विस्तार देख रहे हैं वह उन लोगों की बड़ी सोच का ही परिणाम हैं। आज मुंबई और शहर के करीब पूरे एमएमआर रीजन में बसी ढ़ाई करोड़ से अधिक आबादी अपना जीवन यापन कर रही हैं तो यह उन नीति निर्माताओं की बड़ी सोच का ही परिणाम हैं, जिन्होंने आज की वर्तमान मुंबई का सपना देखा था। एक जमाने में मुंबई भी छोटे-छोटे गांव कबीलों की तरह ही था। जिसे विभिन्न गांवठन, पाडा और कोलिवाड़ा आदि नाम से जाना जाता था। गांवों की सीमाओं का विस्तार बढ़ता गया और एक कस्बे से शहर बन गया। मुंबई दुनिया की नज़रों में एक बहुत बड़े रीजन के रूप में विख्यात हैं, जिसे एमएमआर कहा जाता हैं। देश-विदेश के ढ़ाई करोड़ से अधिक लोग इस रीजन में अपना जीवन यापन कर रहे हैं। मुनष्य के साथ ही तमाम प्राणी मात्र के जीवन की सबसे पहले और प्राथमिक आवश्यकता होती हैं पानी। इतने बड़े रीजन की विकास यात्रा में लाखों करोड़ों लोगों के लिए जल वितरण-आपूर्ति प्रबंधन ही सैकड़ों समस्याओं का एक समाधान हैं। जल संग्रह की इतनी बड़ी सोच अगर उन राजनेताओं में उस जमाने में न होती तो क्या आज करोड़ों लोगों को नहाने-धोने के साथ पीने का पानी उपलब्ध हो सकता था! इतना ही नहीं महाराष्ट्र के कई इलाकों की विकास गाथा का सबसे बड़ा रहस्य कहा जाए तो वह जल प्रबंधन ही हैं।
विकास के मार्ग पर जिसकी सोच जितनी बड़ी होगी विकास उतना ही विस्तार लेगा। आजादी पूर्व कुछ राजा-महाराजाओं की सोच बड़े कंक्रीट डैम निर्माण की थी तो कोई छोटे-छोटे तालाब या कुए-बावड़ी ही खुदवाते थे। आजादी बाद तो वर्तमान नेताओं की सोच ऐनिकट, नलकूप से भी नीचे हैंडपंप तक आकर सीमित होकर रह गई। जल प्रबंधन ही गांव, शहर अथवा राष्ट्र के विकास की मुख्य धारा हैं। सिंचाई जल प्रबंधन के लिए आज कोई भी राज्य पूंजी निवेश करेगा तो उस राज्य में उस क्षेत्र-विकास के सैंकड़ों नए-नए द्वार खुलेंगे।
शहर में बसे लोग गांव के नेताओं की सोच को बड़ा बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। देश के छोटे-बड़े सभी किसानों को अपने खेतों की सिंचाई के लिए चौबीस घंटे ३६५ दिन किसी भी समय नल की टूटी खोलते ही पानी उपलब्ध हो तो भारत के मानचित्र पर कैसी हरियाली होगी?
(लेखक आर्थिक निवेश मामलों के विशेषज्ञ हैं)

 

 

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