घाती सरकार को जारी किया नोटिस
९ अक्टूबर को अपना पक्ष रखने का दिया आदेश
सामना संवाददाता / मुंबई
कोई भी राजनीतिक दल और नागरिक अगले आदेश तक राज्य में बंद का आह्वान नहीं कर सकता। ऐसा पैâसला हाई कोर्ट ने शुक्रवार को दिया। बंद से हुए नुकसान को देखते हुए ‘बी. जी. देशमुख बनाम राज्य सरकार’ के मामले में कोर्ट ने कई निर्देश दिए थे। कोर्ट ने कहा था कि बंद का आह्वान असंवैधानिक कृत्य है, जिसके अनुसार फिलहाल बंद पर रोक है, ऐसा उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया। वहीं घाती सरकार और अन्य प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी किया और उन्हें ९ अक्टूबर को अपना पक्ष रखने का निर्देश दिया।
बदलापुर में दो नाबालिग लड़कियों के यौन उत्पीड़न के विरोध में शनिवार को ‘महाराष्ट्र बंद’ का आव्हान किया गया था। इस बंद को चुनौती देते हुए नंदाबाई मिसाल और जयश्री पाटील ने शुक्रवार को हाई कोर्ट में याचिका दायर की। मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की पीठ के समक्ष उनकी याचिका पर दो सत्रों में सुनवाई हुई। इस दौरान एड. सुभाष झा एवं एड. गुणरत्न सदावर्ते ने जिरह किया। साथ ही सरकार की ओर से महाधिवक्ता डॉ. बिरेंद्र सराफ ने अपना पक्ष रखा। खंडपीठ ने शुरू में याचिका में हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया। हालांकि, याचिकाकर्ताओं के वकील द्वारा विस्तृत दलीलें सुनने का अनुरोध करने के बाद, पीठ ने दोपहर में सुनवाई फिर से शुरू की और एक घंटे तक दलीलें सुनने के बाद फैसला सुनाया।
बी. जी. देशमुख मामले में हाई कोर्ट द्वारा दिए गए विभिन्न निर्देशों का पालन करते हुए मुख्य न्यायाधीश ने स्पष्ट किया कि अगले आदेश तक कोई भी बंद का आह्वान नहीं कर सकता है। वहीं घाती सरकार और अन्य प्रतिवादियों को भी नोटिस जारी किया और उन्हें ९ अक्टूबर को सुनवाई में उपस्थित होने का निर्देश दिया।