मुख्यपृष्ठस्तंभकिसी चमत्कार से कम नहीं, मुंडेश्वरी देवी का मंदिर!

किसी चमत्कार से कम नहीं, मुंडेश्वरी देवी का मंदिर!

योगेश कुमार सोनी
मुंडेश्वरी देवी का मंदिर बिहार के वैâमूर जिले के भगवानपुर अंचल में पंवरा पहाड़ी पर ६०८ फीट की ऊंंचाई पर स्थित है। माना जाता है कि इसकी स्थापना १०८ ईस्वी में हुविश्कद के शासनकाल में हुई थी। यहां शिव और पार्वती की पूजा होती है। प्रमाणों के आधार पर इसे भी देश के सबसे प्राचीन मंदिरों में माना जाता है। इस मंदिर में पिछले दो हजार साल से भी अधिक वर्षों से लगातार पूजा हो रही है। सन १९६८ में पुरातत्व विभाग ने यहां से मिलीं ९७ दुर्लभ प्रतिमाओं को सुरक्षा की दृष्टि से `पटना संग्रहालय’ और तीन को `कोलकाता संग्रहालय’ में रखवा दिया था। यहां कई ऐसे रहस्य भी हैं, जिसके बारे में अब तक कोई नहीं जान पाया। यहां बिना रक्त बहाए बकरे की बलि दी जाती है और पंचमुखी भगवान भोलेनाथ की प्राचीन मूर्ति दिन में तीन बार रंग बदलती है। पहाड़ी पर बिखरे हुए कई पत्थर और स्तंभ हैं, जिनसे प्रतीत होता है कि उन पर श्री यंत्र सिद्ध यंत्र-मंत्र उत्कीर्ण हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचते ही माहौल पूरी तरह से भक्तिमय लगने लगता है। दिमाग पूरी तरह से शांत हो जाता है और ऐसा महसूस होता है कि भगवान स्वयं हमारे सामने हैं। मंदिर के मुख्य द्वार पर पहुंचते ही पंवरा पहाड़ी के शिखर पर स्थित मां मुंडेश्वरी भवानी मंदिर को नक्काशी मंदिर की अलग पहचान दिलाती है। मंदिर की दीवारों पर लिखा है कि मंदिर में रखी मूर्तियां उत्तर गुप्तकालीन हैं और यह पत्थर से बना हुआ अष्टकोणीय मंदिर है। मान्यता के अनुसार, इस इलाके में चंड और मुंड नाम के असुर रहते थे, जो लोगों को प्रताड़ित करते थे। लोगों की पुकार सुन माता भवानी पृथ्वी पर आर्इं थीं और उनका वध करने के लिए जब यहां पहुंचीं तो सबसे पहले चंड का वध किया। उसके निधन के बाद मुंड युद्ध करते हुए इसी पहाड़ी पर छिप गया था लेकिन माता ने इस पहाड़ी पर पहुंच कर मुंड का भी वध कर दिया था। इसी के बाद ये जगह माता मुंडेश्वरी देवी के नाम से जानी जाती है। इसके अलावा एक चमत्कार ऐसा भी है, जिसे देखकर हैरानी होती है। मां मुंडेश्वरी के मंदिर में गर्भगृह के अंदर पंचमुखी भगवान शिव का शिवलिंग है और वह भी हर पहर के हिसाब से रंग बदलता रहता है, मानो जैसे उस पर लाइट लगाकर रखी गई हो। हर सोमवार को बड़ी संख्या में भक्त शिवलिंग पर जलाभिषेक करते हैं। यहां मंदिर के पुजारी द्वारा भगवान भोलेनाथ के पंचमुखी शिवलिंग का सुबह शृंगार करके रुद्राभिषेक किया जाता है।

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