– हमने कोर्ट का सम्मान किया लेकिन जारी रहेगी लड़ाई
सामना संवाददाता / मुंबई
बदलापुर यौन उत्पीड़न मामले में महाविकास आघाडी ने शनिवार को महाराष्ट्र बंद का आह्वान किया था, लेकिन हाई कोर्ट की आपत्ति के बाद बंद वापस ले लिया गया। इस मुद्दे पर शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) नेता, सांसद संजय राऊत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि एक तरफ राज्य में असंवैधानिक सरकार है और दूसरी तरफ हाई कोर्ट हमारे बंद को असंवैधानिक करार दे रहा है।
कल शनिवार की सुबह मीडिया के सवालों के जवाब में सांसद संजय राऊत ने कहा कि कोर्ट के आदेश के बाद बंद वापस ले लिया गया, लेकिन हमने मुंह पर काली पट्टी बांधकर और सड़कों पर उतर कर आंदोलन किया है। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे और बड़ी संख्या में शिवसैनिकों ने शिवसेना भवन के सामने विरोध प्रदर्शन किया। इसके साथ ही राज्य में अलग-अलग जगहों पर शरद पवार, नाना पटोले, जयंत पाटील ने भी आंदोलन में भाग लिया और यह जनभावना का विस्फोट है।
उन्होंने कहा कि अदालत को जनता की भावना का सम्मान करना चाहिए था। आज महाराष्ट्र में कोई भी सुरक्षित नहीं है। कोर्ट में बेटियां, बेटे और बहुएं भी हैं। न्याय की देवी भी एक महिला है। लेकिन फिर कोर्ट ने बंद को असंवैधानिक बताते हुए पैâसला सुनाया है। उन्होंने कहा कि पिछले कई वर्षों से शिवसेना मामले को लेकर तारीख पर तारीख..पड़ती जा रही है। महाराष्ट्र में असंवैधानिक सरकार चल रही है, लेकिन कोर्ट है कि हमारे बंद को असंवैधानिक करार दे रहा है। हमने अदालत का सम्मान किया है, लेकिन हमारी लड़ाई जारी रहेगी।
उन्होंने कहा कि हम राज्य में बहन-बेटियों के बारे में चिंतित हैं। इसलिए हमने सड़क पर उतरने का फैसला किया। लोकतंत्र में आंदोलन महत्वपूर्ण है। अगर हम विरोध नहीं कर रहे हैं और हमारी आवाज बुलंद नहीं हो रही है तो ऐसे लोकतंत्र का क्या फायदा? राऊत ने ये सवाल भी पूछा।
उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह पर भी निशाना साधा और कहा कि महाविकास आघाडी ने बंद का एलान राजनीतिक कारणों से नहीं किया था। कोर्ट ने भी माना है कि राज्य में छोटी बच्चियां व महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं। इसलिए पूरे देश के साथ यूक्रेन, पोलैंड और रूस की समस्याओं को सुलझाने में लगे प्रधानमंत्री तक महाराष्ट्र में बहन- बेटियों पर हो रहे अत्याचार की आवाज पहुंचाने के लिए बंद का आह्वान किया गया था। लेकिन सरकार का प्रिय याचिकाकर्ता कोर्ट में आकर गुहार लगाता है और कोर्ट भी तुरंत आदेश देता है। राऊत ने यह भी कहा कि भले ही कोर्ट का सम्मान करते हुए बंद वापस ले लिया गया, लेकिन हम विरोध करेंगे।