सामना संवाददाता / मुंबई
मनपा में जनप्रतिनिधियों के न होने की वजह से अन्य विभागों की तरह से स्वास्थ्य विभाग का कामकाज भी प्रभावित हो रहा है। सबसे ज्यादा असर मनपा अस्पतालों पर पड़ रहा है। इसमें सबसे ज्यादा बुरे दौर से केईएम अस्पताल गुजर रहा है। आए दिन अस्पताल से कोई न कोई मामला सामने आता रहता है। इसी कड़ी में अब पोस्टमार्टम से जुड़ा मुद्दा सामने आया है। आरोप है कि यहां मुर्दों को भी नहीं बख्शा जा रहा है। अस्पताल के डॉक्टरों ने एक महिला के शव का पोस्टमार्टम करने से इसलिए इनकार कर दिया, क्योंकि जलापूर्ति नहीं हुई थी। हालांकि, परिजन मिन्नत करते रहे, लेकिन उनकी सुननेवाला कोई नहीं था। इससे परिजनों का बुरा हाल हो गया। बताया गया कि महिला का पोस्टमार्टम जलापूर्ति होने के बाद दूसरे दिन किया गया।
उल्लेखनीय है कि मुंबई मनपा के पांच प्रमुख अस्पतालों में केईएम सबसे ऊपरी पायदान पर है। इस अस्पताल की ओपीडी में रोजाना ५ से ७ हजार मरीज इलाज कराने के लिए आते हैं, जबकि सैकड़ों मरीजों को भर्ती किया जाता है, इनमें से कई मरीजों की मौत हो जाती है। दूसरी तरफ इनमें से कई मृतकों का पोस्टमार्टम किया जाता है। अनुमानित आंकड़ों के मुताबिक, अस्पताल में रोजाना औसतन पांच से छह शवों का पोस्टमार्टम किया जाता है। इन सबके बीच एक चौंकानेवाली जानकारी सामने आई है कि गुरुवार को अस्पताल में पानी न होने से एक महिला के शव का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। ऐसे में अस्पताल प्रशासन की कार्यशैली ही सवालों के घेरे में आ गई है।
पैर में चोट लगने से हुई थी महिला की मौत
मालाड की रहनेवाली ४४ वर्षीया रेखा संतोष धात्रे को पैर में चोट लगने के कारण १५ अक्टूबर को केईएम अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के बाद गुरुवार सुबह नौ बजे के करीब उसकी मौत हो गई थी। इसके बाद परिजनों को बताया गया कि पुलिस कार्रवाई के बाद दोपहर तक पोस्टमार्टम होगा। मृतक महिला के भाई जीतेंद्र आडतेकर ने बताया कि पुलिस प्रक्रिया पूरी होने के बाद शव का पोस्टमार्टम किया जाना था, लेकिन पानी न होने का कारण शव का पोस्टमार्टम नहीं किया गया। दूसरे दिन जब पानी की व्यवस्था की गई तब शव का पोस्टमार्टम हुआ।
पहले भी पैदा हो चुकी है यह समस्या
परिजनों का आरोप है कि अस्पताल में शवों का पोस्टमार्टम करने के लिए पानी न मिलना बहुत ही गंभीर समस्या है। एक दल के पदाधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पानी न होने के कारण पोस्टमार्टम के रुकने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी दो-तीन बार इस तरह का वाकया सामने आ चुका है। बावजूद इसके, अस्पताल प्रशासन इनसे सबक नहीं ले रहा है। उनका कहना है कि पोस्टमार्टम गृह में पानी भंडारण के लिए किसी तरह की कोई सुविधा नहीं है।
क्षमता से डेढ़ गुना ज्यादा रखे जाते हैं शव
पदाधिकारी ने कहा कि केईएम अस्पताल की तरह ही उसका शव गृह भी बुरे दौर से गुजर रहा है। इसमें करीब ३७ शवों को रखने की क्षमता है, लेकिन यहां इससे डेढ़ गुना ज्यादा शव रखे गए हैं। इसमें से कई शव लावारिस हैं। इस बारे में अस्पताल प्रशासन हमेशा यही राग अलापता रहता है कि हमने पुलिस प्रशासन को सूचित किया है। उन्होंने कहा कि कई मामले में तो शवों को चूहे तक कुतरकर खराब कर देते हैं।