मुख्यपृष्ठग्लैमर‘मेरे सामने किसी की हिम्मत नहीं हुई!’ -प्रियंका चोपड़ा

‘मेरे सामने किसी की हिम्मत नहीं हुई!’ -प्रियंका चोपड़ा

अपने यादगार किरदारों से कई फिल्मों में अभिनय का जलवा बिखेरनेवाली प्रियंका चोपड़ा को उनके निक नेम ‘पीसी’ के नाम से भी पहचाना जाता है। वेब शो ‘सिटाडेल’ के प्रमोशन के लिए वे इन दिनों मुंबई आई हुई हैं। प्रियंका चोपड़ा ने इस इंटरव्यू में खुलकर बातचीत की है। पेश है, प्रियंका से पूजा सामंत की हुई बातचीत के प्रमुख अंश-

  • ‘सिटाडेल’ करने की क्या वजह रही?
    ‘सिटाडेल’ एक सस्पेंस-थ्रिलर है। ‘सिटाडेल’ एक इंटेलिजेंस ब्यूरो है, जो हर देश में होता है और देश की सुरक्षा का काम करता है। हिंदुस्थानी टेलीविजन पर पहली बार इस तरह की हैरतअंगेज कहानी देखने को मिलेगी, जिसमें मेरा किरदार एक जासूस का है। अपने २० वर्ष के करियर में मैंने आज तक जासूस का किरदार नहीं निभाया। मेरे लिए ‘सिटाडेल’ करना एक बड़ी चुनौती है।
  • आपके लिए ‘सिटाडेल’ की सबसे बड़ी देन क्या रही?
    मेरे करियर में ‘सिटाडेल’ ने बहुत कुछ दिया। एक तो यह शो मुझे बेहद सुकून और खुशी दे चुका है। एक अनोखा और मनचाहा काम करने पर आपको जो अंदरूनी खुशी मिलती है वो ‘सिटाडेल’ ने मुझे दी। सिर्फ ६ एपिसोड्स की शूटिंग करने में डेढ़ वर्ष लगे। ४०० लोग दिन-रात काम कर रहे थे। ये हिंदी, अंग्रेजी, इटैलियन भाषा में प्रसारित होगा। हर भाषा का टेक्निकल स्टाफ, लेखक, प्रोडक्शन से जुड़े लोग बहुत बड़ा परिवार था। ‘सिटाडेल’ ने एक बड़ा करिश्मा कर दिखाया है और इतने बड़े पैमाने पर बने इस शो में मेरा एक अहम किरदार है, जो मुझे फख की बात लगती है।
  • क्या ‘सिटाडेल’ में कुछ क्रिएटिव इनपुट्स भी आपने दिए?
    जब मुझे ‘सिटाडेल’ का ऑफर मिला, उस वक्त मुझे कहानी डिटेल में पता नहीं थी। मैं यह जानती थी कि मैं एक जासूस का किरदार निभा रही हूं। ‘अमेजॉन’ स्टूडियो की हेड ऑफ द डिपार्टमेंट जेनिफर की नजरों में मैं हॉलीवुड और बॉलीवुड की बड़ी स्टार हूं। ताज्जुब की बात तो यह है कि ५ वर्ष पहले मुझे कास्ट करने की बात हुई थी और पूरे ५ वर्ष बाद जेनिफर ने मुझे कास्ट किया। यह उनका बड़प्पन है। जब भी और जहां भी अपनी राय देनी थी, मैंने दी। हमारा एक सम्मान और आदर्श का रिश्ता रहा है।
  • अभिनय का बैकग्राउंड न होना आपके लिए कितनी मुश्किलें लाया?
    मेरे करियर को २० वर्ष पूरे हुए। मेरी पहली डेब्यू फिल्म ‘थमीजान’ तमिल में थी। उसके बाद २००३ में हिंदी में मेरी पहली फिल्म ‘लव स्टोरी ऑफ ए स्पाय’ रिलीज हुई। १७ वर्ष की उम्र में ‘मिस इंडिया’ और १८-१९ की उम्र में मैं ‘मिस वर्ल्ड’ बनी। २१ वर्ष की उम्र में फिल्मी दुनिया में मेरा प्रवेश हुआ और देखते ही देखते २० वर्ष बीत गए। जीवन में मैंने बहुत कुछ पाया। बस, एक बहुत ही अनमोल व्यक्ति को मैंने हमेशा के लिए खो दिया। वो थे मेरे पापा डॉ. अशोक चोपड़ा, जिनकी कमी मुझे ताउम्र खलेगी। खैर, सामान्य स्ट्रगलर की तरह मुझे कभी किसी ने ट्रीट नहीं किया और न ही मेरे सामने किसी की हिम्मत हुई।
  • आप स्मॉल टाउन लड़कियों को क्या सलाह देंगी?
    लड़की शहर की निवासी हो या गांव-देहात की, अपने सपनों को पूरा करने का हक उसे जरूर है परंतु उसके सपने तब पूरे होंगे, जब उसके माता-पिता, भाई-बहन उसका साथ देते हुए उसे प्रोत्साहित करें। एक अकेली लड़की कहां तक संघर्ष कर सकती है? लड़की की ऊर्जा तो अपनों से संघर्ष करने में ही चली जाएगी। मैं बहुत लकी हूं क्योंकि मेरे माता-पिता ने मुझे हमेशा प्यार, सपोर्ट और प्रेरणा दी। सपने मैंने देखे लेकिन मेरे सपनों में हौसलों की उड़ान मेरे माता-पिता ने भरी। मेरे जीवन के हर महत्वपूर्ण मौकों पर माता-पिता साथ थे। एक स्त्री को आगे बढ़ने में सबसे पहले उसके परिवार का योगदान बेहद मायने रखता है।
  • सत्यजीत रे ऐसे फिल्ममेकर थे, जिन्हें पहली बार ‘ऑस्कर’ मिला। क्या कहना चाहती हैं, आप इस बारे में?
    सत्यजीत रे ऐसे फिल्ममेकर हैं, जिनकी फिल्मों में जिन भारतीय कलाकारों ने अभिनय किया, वे कितने भाग्यशाली रहे होंगे। उनसे कभी मिलना नहीं हुआ लेकिन सुना है, वे कद से बहुत लंबे थे। वाकई कद के साथ उनका क्रिएटिव कद भी मिल चुका था। एक ऐसा फिल्मकार, जिन्होंने भारतीय सिनेमा को दुनिया में पहुंचाया और वो भी बंगाली सिनेमा के जरिए।

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