श्रीकिशोर शाही
सोरेन परिवार की बहू की घर वापसी हो सकती है। बात हेमंत सोरेन की भाभी सीता सोरेन की हो रही है। सीता ने दो महीने पहले झारखंड मुक्ति मोर्चा को छोड़कर भाजपा जॉइन कर ली थीं। भाजपा ने उन्हें दुमका से टिकट भी दे दिया। अब सीता सोरेन के देवर और झारखंड सरकार के मंत्री बसंत सोरेन ने भाजपा की नींद उड़ा दी है। बसंत का कहना है कि सीता सोरेन का भाजपा से मोहभंग हो गया है और वे वापस अपने परिवार में लौट सकती हैं। दरअसल, सीता सोरेन दो दिन पहले दुमका में ससुर शिबू सोरेन के आवास पर गई थीं, जहां बसंत सोरेन से उनकी मुलाकात हुई थी। अब वहां देवर-भाभी में बातचीत हुई ही होगी। इसके बाद ही बसंत सोरेन ने कहा कि मोदी परिवार से उनका भ्रम टूट गया है। हालांकि, बसंत सोरेन के इस बयान के बाद सीता सोरेन ने कहा कि झामुमो के लोग किसी तरह का ऐसा भ्रम नहीं पालें। वह मेरा घर रहा है, जिसे इतनी जल्दी वैâसे छोड़ पाएंगे। पार्टी अलग जगह है और परिवार अलग जगह है। सीता की बात सुनकर ऐसा तो लगता नहीं कि वे तुरंत पाला बदल सकती हैं, लेकिन इश्क और युद्ध की तरह चुनाव में भी सब जायज है।
तेजस्वी-चिराग की जुबानी जंग
बिहार में इन दिनों सियासी पारा चढ़ा हुआ है। इसमें भी युवा नेता तेजस्वी यादव और चिराग पासवान के बीच अमूमन कहीं न कहीं किसी न किसी बात पर भिड़ंत हो ही जा रही है। इसके बाद लोग भी चटखारे ले-लेकर इसका जिक्र कर रहे हैं। हाल ही में तेजस्वी ने चिराग को नादान बताते हुए कह दिया कि उन्हें आरक्षण और आरएसएस के इतिहास के बारे में जानकारी नहीं है। उन्हें जानकारी प्राप्त करने के लिए पिता रामविलास पासवान के भाषणों को सुनना चाहिए। मोदी ने चिराग के पिताजी की मूर्ति फेंकवाई, आवास खाली करवाया, चाचा और भतीजे में लड़ाई लगवाई, इसके बावजूद वे उनके हनुमान बने हुए हैं। कोई भी खुदगर्ज आदमी ऐसा नहीं करता, फिर चिराग चुप वैâसे रहते। सो उन्होंने जवाब में सलाह देते हुए कहा कि आज भी अगर आप अपने प्रत्याशियों की चिंता कर लेंगे तो संभवत: उनकी कम से कम जमानत बचा पाएंगे। आज हम सभी चुनाव में हैं। हमारे घर, हमारे परिवार में क्या हुआ, वह हमारी चिंता है। हमारी व्यक्तिगत चिंता है। अब दोनों की यह जुबानी जंग आनेवाले दिनों में और बढ़ेगी, ऐसा चुनावी विश्लेषकों का विश्लेषण कह रहा है।
दिल्ली की सभी सीटों का
बदल सकता है सीन
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर रिहाई ने दिल्ली का सीन बदल दिया है। आम आदमी पार्टी का मुख्य बेस दिल्ली ही है। दिल्ली की सभी सातों सीट जीतने के प्रति भाजपा आश्वस्त थी। थी इसलिए क्योंकि भाजपा को लग रहा था कि केजरीवाल को जल्द रिहाई नहीं मिलनेवाली, जिससे मैदान खाली है। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें जमानत देकर सारे राजनीतिक समीकरण बदल दिए हैं। केजरीवाल के न रहने से कहीं न कहीं `इंडिया’ गठबंधन का प्रचार अभियान प्रभावित हो रहा था। कार्यकर्ताओं में थोड़ी सुस्ती छाई हुई थी, लेकिन केजरीवाल के जेल से बाहर आते ही `आप’ के कार्यकर्ताओं में अचानक जोश का संचार हो गया। हजारों की भीड़ अपने बीच केजरीवाल को पाकर अति उत्साहित हो गई। जानकारों का मानना है कि इसका चुनाव पर सीधा असर पड़ेगा। न सिर्फ दिल्ली की सातों सीटों पर पड़ेगा, बल्कि पंजाब की १३ सीटों पर भी आम आदमी पार्टी का काफी अच्छा प्रभाव है। ऐसे में दिल्ली के साथ ही पंजाब का भी सीन पूरी तरह से बदला-बदला नजर आए तो किसी को कोई आश्चर्य नहीं होना चाहिए।