सामना संवाददाता / मुंबई
राज्य से उद्योगों का पलायन राज्य सरकार की विफलता के करण हो रहा है और उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी श्वेत पत्र इस बात का सबूत है। सरकार की नाकामी और लापरवाही को लेकर कल शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे)नेता व विधायक आदित्य ठाकरे ने राज्य की ‘गद्दार’ सरकार पर हमला बोला। आदित्य ठाकरे ने कहा कि लाखों युवाओं को रोजगार देनेवाले बड़े उद्योगों को महाराष्ट्र में लाने के लिए महाविकास आघाड़ी सरकार ने खूब प्रयास किया था। उस दौरान आदित्य ठाकरे और अन्य मंत्रियों ने अथक प्रयास किए थे। लेकिन राज्य की गद्दार सरकार की लापरवाही के चलते वे उद्योग अन्य राज्यों में चले गए, जिसे लेकर आदित्य ठाकरे ने गद्दार सरकार पर गंभीर आरोप लगाए थे।
आदित्य ठाकरे ने कहा कि जारी हुआ यह श्वेतपत्र खोके सरकार की नाकामी और मौजूदा सरकार पर से उद्योग जगत का विश्वास उठने का प्रमाण है। आदित्य ठाकरे ने गद्दार सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि जो उद्योग और परियोजनाएं महाविकास आघाड़ी सरकार के दौरान एमआईडीसी के साथ चर्चा के अंतिम चरण में थीं, वे खोके सरकार के आते ही महाराष्ट्र से बाहर चली गर्इं, यह श्वेतपत्र उसका सबूत है।
आदित्य ठाकरे ने कहा कि खोके सरकार ने कहा था, ‘वेदांता फॉक्सकॉन’ परियोजना से भी बड़ी परियोजना महाराष्ट्र में आनेवाली थी, लेकिन श्वेतपत्र में उसका कोई उल्लेख तक नहीं है। इसमें वेदांता फॉक्सकॉन के ‘फॉरवर्ड इंटीग्रेशन’ प्रोजेक्ट का जिक्र तक नहीं किया गया जबकि उपमुख्यमंत्री ने अपने ट्वीट में इन सबका जिक्र किया था। आदित्य ठाकरे ने सवाल किया कि क्या वह प्रोजेक्ट अभी भी चल रहा है? उद्योग मंत्रालय का यह श्वेतपत्र ज्यादातर तारीखों और तथ्यों का जिक्र करते हुए कुछ रहस्यमयी सच्चाइयों को भी उजागर कर रहा है। आदित्य ठाकरे ने इसका निम्नलिखित उल्लेख किया है…
मिंधे-भाजपा को महाराष्ट्र से नफरत, खोके सरकार बनते ही उद्योगों को दूसरे राज्यों में भेजा गया।
गद्दारों के इस गिरोह ने महाराष्ट्र को राजनीतिक रूप से अस्थिर बना दिया। अब इंडस्ट्री को उन पर भरोसा नहीं रह गया है।
दुर्भाग्य से राज्य में पूर्ण रूप से असक्षम और असंवैधानिक मुख्यमंत्री हैं, जिन्होंने उद्यमियों से मुलाकात के बाद स्वयं उद्योगों को दूसरे राज्यों में भेज दिया।
इस श्वेतपत्र में वेदांता-फॉक्सकॉन, एयरबस-टाटा, बल्क ड्रग पार्क, सेप्रâॉन उद्योगों का उल्लेख होते हुए भी महाराष्ट्र से दूर हटाए गए मेडिकल डिवाइस पार्क और सौर ऊर्जा उपकरण पार्क जैसे अन्य उद्योगों का उल्लेख नहीं किया गया है।
बल्क ड्रग पार्क बदलाव के उल्लेख से यह साबित होता है कि थोक दवा उत्पादन के लिए महाराष्ट्र सबसे अच्छा विकल्प होने के बावजूद इसे जानबूझकर नजरअंदाज किया गया।
महाराष्ट्र को तीन पार्क नहीं तो कम से कम एक पार्क तो मिलना ही चाहिए था। कुल मिलाकर यह मसौदा क्या महाराष्ट्र के बेरोजगार युवाओं के घावों पर नमक छिड़कने के लिए प्रकाशित किया गया था या फिर यह साबित करने के लिए कि राज्य में एक लापरवाह मुख्यमंत्री और एक अनभिज्ञ उद्योग मंत्री है! धोखे से सत्ता में आई महाराष्ट्र सरकार का यह एक इंजिन तो पूरी तरह से फेल हो गया है।