सामना संवाददाता / नई दिल्ली
केंद्र की भाजपा सरकार कैशलेस पेमेंट पर जोर दे रही है। सरकार द्वारा डिजिटलाइजेशन के नाम पर कई ऑनलाइन पेमेंट ऐप शुरू किए गए। इन ऐप्स से पेमेंट करने से नागरिकों के हर लेनदेन पर सरकार की नजर रहती है। अब केंद्र की सरकार एक और नीति के तहत लोगों की वित्तीय लेनदेन पर नजर रखने की तैयारी में है। आरबीआई अब यूपीआई पेमेंट को लेकर नया सिस्टम डेवलप करने पर विचार कर रहा है। अब आरबीआई यूपीआई पेमेंट में भी ‘एआई’ के माध्यम से घुसपैठ करेगा।
बता दें कि आरबीआई की मौद्रिक नीति की बैठक के बाद कल गवर्नर शक्तिकांत दास ने कहा कि यूपीआई पर संवादात्मक भुगतान यूजर्स को एक अलग अनुभव देगा। यूपीआई पर संवादात्मक भुगतान यूजर्स को भुगतान करने के लिए एआई सिस्टम के साथ बातचीत में शामिल होने में सक्षम बनाएगा। उन्होंने कहा कि केंद्रीय बैंक द्वारा उपयोगकर्ताओं के लिए नई टेक्नोलॉजी प्रस्तावित की गई है।
एसबीआई एआई और एमएल का उपयोग बढ़ाएगा
गौरतलब है कि केंद्रीय बैंक की इस घोषणा के अलावा, प्राइवेट और पब्लिक सेक्टर के अन्य बैंक डिजिटल बैंकिंग सेवाओं का विस्तार करने के लिए एआई और मशीन लर्निंग (एमएल) टूल का उपयोग करके अपनी तकनीक पर बारीकी से काम कर रहे हैं। भारत में बैंक तेजी से अपने परिचालन में एआई बेस्ड सर्विस जैसी टेक्नोलॉजी को शामिल कर रहे हैं। चैटबॉट्स का उपयोग करने से लेकर फिनटेक फर्मों के साथ डील तक बैंक यह पता लगा रहे हैं कि नए जमाने की तकनीक को वैâसे शामिल किया जाए। देश के सबसे बड़े बैंक भारतीय स्टेट बैंक ने वित्त वर्ष २०२३ के लिए अपनी सालाना रिपोर्ट में कहा कि संचालन में बिजनेस एनालिटिक्स, एआई और एमएल के उपयोग को बढ़ाएगा।
महंगाई दर के ज्यादा रहने का अनुमान
गवर्नर ने कहा कि आरबीआई का फोकस महंगाई कम करने पर रहा है और हमारी अर्थव्यवस्था में ग्रोथ बरकरार है। हालांकि, महंगाई आरबीआई के टार्गेट से ज्यादा रही है लेकिन आरबीआई ४ फीसदी की महंगाई दर हासिल करने के लिए प्रतिबद्ध रहा है। कोर महंगाई दर में कमी आ रही है और इसके असर से नीतिगत दरों पर भी असर देखा जाएगा। आरबीआई गवर्नर ने कहा कि जुलाई-अगस्त में महंगाई दर के ज्यादा रहने का अनुमान है। मुख्य रूप से सब्जियों की महंगाई दर के बढ़ने के कारण ऐसा देखे जाने की संभावना है।
सस्ते लोन की टूटी आस
भारतीय रिजर्व बैंक ने कल अपनी मौद्रिक नीति का एलान कर दिया। गवर्नर शक्तिकांत दास ने घोषणा की है कि रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कोई बदलाव नहीं किया जा रहा है। रेपो रेट को ६.५० फीसदी पर बरकरार रखा गया है। आरबीआई के इस निर्णय के बाद अब बैंकों से सस्ते लोन की आस लगाए बैठे लोगों को निराशा हाथ लगी है।