अब तो सब विद्वान हो गए
लगता है इंसान हो गए।।
बात सुनो तो लगता जैसे ।
बातों के धनवान हो गए।।
उन्हें समझना बड़ा कठिन है ।
वे खुद ही भगवान हो गए ।।
रोते हैं जब देश भक्ति तो।
लगता हिंदुस्थान हो गए।।
वक्त जरूरत पर खोजो तो।
झटपट अंतर्ध्यान हो गए ।।
ऐसे वीर बहादुर से तो।
हम भी अब हैरान हो गए ।।
लेकिन वक्त कह रहा हमसे ।
हम कोई समान हो गए।।
जितने थे बड़बोले अब तो ।
बहुत बड़े श्रीमान हो गए।।
सत्य पकड़ कर चलने वाले ।
अब बिल्कुल नादान हो गए ।।
हमको दर्द यही है साथी।
हम कितने बेजान हो गए ।।
चाह रहे थे दुनिया सारी।
हम खुद से अनजान हो गए।।
हमको यही बात खलती है।
हम उनके जलपान हो गए ।।
सत्ता पूँजी मिली हुई है।
हम उनके दरम्यान हो गए।।
शोषण की पूरी दुनिया में ।
हम मजदूर किसान हो गए ।।
अब तो सब विद्वान हो गए ।
लगता है इंसान हो गए।।
अन्वेषी