सामना संवाददाता / नई दिल्ली
महाराष्ट्र का आर्थिक चेहरामोहरा बदलने वाला और लाखों रोजगार उपलब्ध कराने वाला बड़ा उद्योग पहले गुजरात भेजा गया। अब महाराष्ट्र के कोकण में लगने वाली आयल रिफाइनरी को गुजरात या आंध्र प्रदेश में ले जाने का षडयंत्र जारी है। यानी महाराष्ट्र में लगने वाली आयल रिफाइनरी अब नहीं लगेगी। महाराष्ट्र में चुनाव के बाद महायुति में मुख्यमंत्री पद को लेकर खींचतान शुरू है। इस खींचतान के बीच आयल रिफाइनरी की परियोजना अन्य राज्य में चले जाने पर आम जनता यही सवाल कर रही है कि इसी के लिए महायुति को मौका दिया था क्या!
बता दें कि महाराष्ट्र के हाथ से बड़ी तेल रिफाइनरी लगभग फिसल गई है। यह रिफाइनरी रत्नागिरी में लगाई जानी थी। अब सरकार ने इसे यहां लगाने से लगभग मना कर दिया है। सरकार की नजर गुजरात और आंध्र प्रदेश पर है। सरकार यहां दो रिफाइनरी लगाने के लिए सऊदी अधिकारियों से बातचीत कर रही है। इनमें से प्रत्येक की सालाना क्षमता १० से १५ मिलियन टन होगी। साथ ही पेट्रोकेमिकल सुविधाएं भी होंगी।
मीडिया में चल रही खबरों के मुताबिक, गुजरात में रिफाइनरी के लिए सऊदी अरामको के साथ साझेदारी करने के लिए ओएनजीसी को प्रस्तावित किया गया है। वहीं आंध्र में नियोजित एक रिफाइनरी के लिए बीपीसीएल को शामिल किया जाएगा। इन रिफाइनरियों को सऊदी से कच्चा तेल मिलेगा। बता दें कि भारत ने पिछले कुछ वर्षों में खाड़ी देशों से तेल की हिस्सेदारी कम की है।
भारत में १०० बिलियन डॉलर निवेश करेगा सऊदी
सऊदी के साथ यह बातचीत अभी शुरुआती चरण में है। अगले महीने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मुलाकात सऊदी के अधिकारियों से होगी। बता दें कि सऊदी अरब ने भारत में १०० बिलियन डॉलर निवेश करने की बात कही है। ऐसे में माना जा रहा है कि सऊदी पहले अपने वादे को पूरा करे। रिफाइनरी का विचार पहली बार आंध्र प्रदेश के विभाजन के दौरान सामने आया था।