• शिवसेना का हिंदी भाषी सम्मेलन हाउसफुल
• ‘एक-दूसरे में भेद करना हमारा हिंदुत्व नहीं है’
सामना संवाददाता / ठाणे
देश में तानाशाही चल रही है। अब चुनाव आनेवाला है और आपको गुमराह करने की पूरी कोशिश की जाएगी, पर मुझे पूरा विश्वास है कि आप उन्हें कामयाब नहीं होने देंगे। शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे के इतना कहते ही ठाणे के गडकरी रंगायतन में उपस्थित उत्तर भारतीय समुदाय ने ‘उद्धव साहेब आगे बढ़ो, हम तुम्हारे साथ हैं’, के नारे से सभागृह को गुंजायमान कर दिया। शिवसेनापक्षप्रमुख कल वहां हिंदी भाषी कार्यकर्त्ता सम्मेलन में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे। इस दौरान उद्धव ठाकरे ने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अब उत्तर भारतीय इस तानाशाह सरकार को जबरदस्त उत्तर देंगे।
ठाणे में दहाड़े उद्धव ठाकरे
मैं जनता के सामने झुक सकता हूं
तानाशाही बर्दाश्त नहीं कर सकता!
सामना संवाददाता / ठाणे
मैं जनता के सामने झुक सकता हूं पर तानाशाही बर्दाश्त नहीं कर सकता। इन शब्दों के साथ शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) पक्षप्रमुख उद्धव ठाकरे ने केंद्र की तानाशाह भाजपा सरकार के खिलाफ जोरदार दहाड़ लगाई। वे कल ठाणे में हिंदी भाषी कार्यकर्त्ता सम्मेलन में उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित कर रहे थे।
उद्धव ठाकरे ने अपने भाषण की शुरुआत इसी बात से की कि जो हिंदी और मराठी दोनों समझता है, उसी को हिंदुत्व कहते हैं। जो एक-दूसरे में भेद करते हैं, उसे हिंदुत्व नहीं कहा जा सकता। इस पर सभागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। उद्धव ठाकरे ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘इसे तो चाणक्य नीति भी नहीं कह सकते। ये कूटनीति होती है, जो खुद के फायदे के लिए की जाती है।’ इस मौके पर उन्होंने विस्तार से बताया कि जिस सभागृह में यह सभा हो रही है, वो गडकरी रंगायतन नाट्यगृह हिंदूहृदयसम्राट शिवसेनाप्रमुख बालासाहेब ठाकरे ने किस तरह ठाणे को दिया। उन्होंने इस बात पर जोर देते हुए कहा कि हां, ठाणे में नाट्यगृह हमने जरूर बनवाया, पर नाटक कुछ और ही लोग कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज आप सभी का जोश देखकर कुछ लोगों के होश जरूर उड़े होंगे और ये उड़ने भी चाहिए। जिन लोगों को ये लगता है कि वो ही ठाणे हैं तो उन्हें समझ लेना चाहिए कि ठाणे मतलब शिवसेना है और वो भी असली शिवसेना है। उन्होंने गद्दारों पर तंज कसते हुए कहा कि मार्वेâट में इन दिनों चाइनीज माल भी आता है पर वो बनावटी, गद्दार जब ये समझने लगते हैं कि वे शिवसेना से भी ऊपर हैं, पर इतने ऊपर वे जा नहीं सकते, जाएंगे तो फिर वापस लौटकर आ नहीं सकते। इस अवसर पर उन्होंने सांसद राजन विचारे और उनके सभी साथी कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए कहा कि ये कट्टर शिवसैनिक हैं। आगे उन्होंने कहा कि चुनौतियां जीवन में आती रहती हैं पर मैं उन्हें अवसर मानता हूं। परीक्षा तभी होती है जब कठिन समय आता है। जो लड़ते वक्त साथ होते हैं वे ही असली साथी होते हैं, वही सैनिक होते हैं, जैसे आप मेरे साथ हैं। खोके सरकार पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि जिस सरकार का जन्म ही खोके से हुआ है वो क्या न्याय दिला पाएगी? अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि अक्सर ये पूछा जाता है कि शिवसेना ने और उद्धव ठाकरे ने उत्तर भारतीयों के लिए क्या किया है? यदि मैंने कुछ नहीं किया होता तो आप लोग यहां आते क्या? यह सवाल भी उन्होंने जनता के समक्ष रखा। और उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि इस तरह का जो सवाल पूछनेवाले लोग हैं उसका उत्तर आप उत्तर भारतीय ही देंगे। जब मैंने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी, तब कहा था कि मैं किसी के साथ भेदभाव नहीं करूंगा। उन्होंने सवाल किया कि आपस में लड़ाई क्यों करनी है? कोरोना के समय में मैं जो कुछ भी कर सकता था मैंने वो सब बिल्कुल किया। मैं हमेशा कहता हूं, ये मेरा सौभाग्य है कि महाराष्ट्र की जनता मुझे अपने परिवार का सदस्य मानती है। ये किसी और के नसीब में नहीं है। उन्होंने महाविकास आघाड़ी के गठन को लेकर कहा कि मैंने किसी के साथ भी छिपकर रात के अंधेरे में गठबंधन नहीं किया। मैं अगर कांग्रेस के साथ भी गया तो खुलकर गया। पर हमें कांग्रेस के साथ जाने पर मजबूर किसने किया, ये सवाल मैं उनसे पूछना चाहता हूं। बीजेपी के साथ हमारा शायद सबसे बड़ा २५-३० वर्षों का गठबंधन था फेवीकॉल से भी ज्यादा मजबूत हिंदुत्व के लिए। पर ये गठबंधन किसने तोड़ा, पहले बीजेपी ने तोड़ा। जैसे ये गद्दार बीजेपी का गले में पट्टा बांधकर गए हैं उस तरह बीजेपी मेरे गले में पट्टा नहीं बांध सकती, न ऐसा कोई पैदा ही हुआ है। उद्धव ठाकरे के ऐसा कहते ही सभागृह में उनके समर्थन में तालियां बजने लगीं। उद्धव ठाकरे ने कहा कि मेरी रगों में बालासाहेब का खून है। इसलिए न मैं कभी लाचार हो सकता हूं, न गुलाम बन सकता हूं। मैं झुकूंगा पर आप सभी हिंदुओं के सामने। अपनों के सामने। मैं तानाशाही को कभी बर्दाश्त नहीं कर सकता। क्योंकि मंदिर में जा के घंटा बजाना यह हमारा हिंदुत्व नहीं है। हमारा हिंदुत्व आतंकवादियों को पीटनेवाला हिंदुत्व है। आतंकवादियों को पीटनेवालों को हम हिंदू मानते हैं। उद्धव ठाकरे के ऐसा कहते ही सभागृह तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा। हमारा हिंदुत्व मतलब हृदय में राम और हाथ में काम देनेवाला है। ऐसा भी उद्धव ठाकरे ने उपस्थित जनसमुदाय को संबोधित करते हुए कहा। वे बोले, इंसान और इंसान में अंतर करनेवालों का हिंदुत्व झूठा है। ऐसे झूठों का नकाब हमें फाड़ना है। मणिपुर का मुद्दा उठाते हुए उन्होंने सवाल किया कि क्या यही हिंदुत्व है, हिंदू राष्ट्र है? अपने मुख्यमंत्रित्व काल के दौरान विरोधियों द्वारा हनुमान चालीसा पर जारी राजनीति की खबर लेते हुए उन्होंने स्पष्ट किया कि जिस हनुमान ने सीता के लिए पूरी लंका का दहन कर दिया, सीता हरण हुआ इस वजह से रामायण हुई, द्रौपदी का चीरहरण हुआ तो महाभारत हुई। परंतु जब द्रौपदी का चीरहरण हुआ तो वहां धृतराष्ट्र बैठे थे, जो दृष्टिहीन थे। क्या आज की सरकार धृतराष्ट्र है। उन्होंने मणिपुर की भाजपा सरकार को भी आड़े हाथों लेते हुए कहा कि वहां के मुख्यमंत्री जब कहते हैं कि ऐसी सैकड़ों घटनाएं हुई हैं तो उन्हें शर्म क्यों नहीं आती। ये घटना तो हमें इसलिए पता चल गई कि इसका वीडियो वायरल हो गया। उन्हें शर्म आनी चाहिए। जिस देश में राष्ट्रपति महिला हैं, वहां की गवर्नर महिला हैं वो क्या कर रहे हैं। जिस देश में महिलाओं की इज्जत सरेबाजार लूटी जा रही हो क्या आपको कोई संवेदना नहीं है, आप कुछ कर क्यों नहीं रही हो? हमारे यहां के राज्यपाल जो थे, वो किस तरह मस्ती करते थे, उन्हें ही वहां भेज दो। ऐसा व्यंग्य भी उद्धव ठाकरे ने कसा। उद्धव ठाकरे ने तत्कालीन राज्यपाल के संदर्भ में बताया कि रोज कभी मंदिर खोलो, कभी कुछ करो, इस तरह की बातें वो करते थे। क्या कोरोना के उस काल में ऐसा करना संभव था? ऐसे राज्यपाल को मणिपुर क्यों नहीं भेजते? इंडिया गठबंधन के संदर्भ में उन्होंने स्पष्ट किया कि यह देशप्रेम के लिए एकजुटता हुई है। इस इंडिया की भी आलोचना हमारे प्रधानमंत्री करते हैं। उसकी तुलना इंडियन मुजाहिद्दीन से करते हैं। उनसे मैं पूछना चाहता हूं कि जब भी आप विदेश जाते हो तब प्राइम मिनिस्टर ऑफ इंडिया के नाते देश को रिप्रेजेंट करते हो या इंडियन मुजाहिद्दीन के प्रधान सेवक बनकर? क्या इस तरह होता है? आपकी सोच इतनी गिर गई है। इस अवसर पर उन्होंने कवि पुष्यमित्र उपाध्याय की उन पंक्तियों का उल्लेख किया जो चीरहरण के संदर्भ में लिखी गई थीं और सवाल किया कि तब कृष्ण ने द्रौपदी की लाज बचाई थी, आज कौन बचाएगा? जो अपने आपको विश्व गुरु और महाशक्तियों के महाशक्ति कहते हैं वो? कौन आएगा? इसलिए ये पंक्तियां-
सुनो द्रौपदी शस्त्र उठा लो
अब गोविंद न आएंगे
छोड़ो मेहंदी खड्ग संभालो
खुद ही अपना चीर बचा लो
द्यूत बिछाए बैठे शकुनि मस्तक सब बिक जाएंगे (पचास खोके एकदम ओके)
सुनो द्रौपदी शस्त्र उठा लो अब गोविंद न आएंगे
क्या यही हमारा हिंदू राष्ट्र और यही हिंदू राष्ट्र की कल्पना है, ऐसा सवाल भी उन्होंने किया। राम मंदिर का मु्द्दा उठाते हुए उन्होंने सवाल किया कि मंदिर कोर्ट के आदेश से बना है क्योंकि जब बाबरी ढांचा गिराया गया था तब ये बीजेपी वाले सभी चूहे बिलों में घुस गए थे। उन्होंने इस संदर्भ में कहा कि जब मैं आप सभी लोगों के साथ अयोध्या गया था, तब मैंने एक कानून बनाकर राम मंदिर बनाने की मांग की थी। आज ये सरकार दिल्ली सरकार के अधिकार छीनने के लिए अध्यादेश लाकर कानून बनाना चाहती है, पर उस वक्त उसने ऐसा नहीं किया। राम मंदिर के लिए कानून नहीं बनाया पर लोकतंत्र को खत्म करने के लिए अब कानून बना रही है।
मणिपुर के मुद्दे पर गरजते हुए उद्धव ठाकरे ने कहा कि वहां ईडी, सीबीआई को क्यों नहीं भेजते या फिर अमित शाह वहां जाकर सभी दंगाइयों को अपने पार्टी में शामिल कर लो, मणिपुर अपने आप शांत हो जाएगा। यही तो नीति देश में चल रही है। जब दो-तीन दिन में प्रधानमंत्री यहां आएंगे तब देखिएगा मंच में उनके अलग-बगल में कौन है? जिन पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए वही होंगे। शिवसेना तोड़कर बनाई हुई सरकार को और मजबूत करने के लिए जिन पर आपने ७० हजार करोड़ घोटाले के आरोप लगाए थे, उनको भी तोड़ लिया। उन्होंने सवाल किया कि क्या आपको कोई और नहीं मिला? अपने भाषण में बीच-बीच में कुछ मुद्दे उन्होंने मराठी में भी कहे। पर उनका संपूर्ण भाषण हिंदी में हुआ, जिससे वहां उपस्थित उत्तर भारतीयों और हिंदी भाषियों का मन गदगद हो गया। सभास्थल पर लोग उद्धव ठाकरे की प्रशंसा कर रहे थे। अपने भाषण के दौरान भाजपा पर मजाकिया अंदाज में कई तंज भी कसे। उन्होंने भारतीय जनता पार्टी को भ्रष्ट जनता पार्टी बताते हुए कहा कि देश में भ्रष्टाचार की बुलेट ट्रेन चल रही है। उन्होंने एनडीए की अचानक से शुरू हुई सुगबुगाहट पर भी तंज कसा।