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बिहार में लागू होगा ओडिशा का फॉर्मूला! …नीतीश कुमार को साइडलाइन कर सत्ता पर कब्जे का भाजपा ने बनाया प्लान

सामना संवाददाता / पटना
ओडिशा में हुए १७ वें विधानसभा चुनाव में भाजपा ने २४ वर्षों से चली आ रही नवीन पटनायक की सरकार को शिकस्त देकर सत्ता पर कब्जा कर लिया। नवीन की पार्टी बीजद ५१ सीटों पर सिमट गई, जबकि भाजपा ने बहुमत के आंकड़े ७४ से ४ सीटें ज्यादा जीतकर सरकार बना ली। ऐसा नहीं है कि ओडिशा में नवीन बाबू की सरकार ने अच्छा काम नहीं किया या वे अलोकप्रिय हो गए थे, बल्कि भाजपा ने वहां नवीन बाबू के स्वास्थ्य खराब होने और उनके बीमार होने का ऐसा भ्रम पैâलाया कि ओडिशावासी अपने राज्य के भविष्य को लेकर आशंकित हो उठे। अब भाजपा बिहार में भी ओडिशा फॉर्मूले को लागू करने की योजना पर काम कर रही है।
बता दें कि ओडिशा में भाजपा विधान सभा में सीटों को जीतने के लिए पिछली कई बार से संघर्ष ही कर रही थी। २०१४ में भाजपा को वहां सिर्फ १० सीटें तो २०१९ में सिर्फ २३ सीटें मिली थीं, जो बहुमत के ७४ सीटों के अांकड़े से काफी पीछे थीं, वहीं बीजद ने २०१४ में ११८ तो २०१९ में ११२ सीटें जीती थीं। ओडिशा में सर्वमान्य मान्यता यही थी कि नवीन बाबू को हराना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। ऐसे में भाजपा ने उनकी बीमारी को भुनाने के साथ प्रचारित किया कि वहां की सरकार सीएम के निजी सचिव वीके पांडियन चला रहे हैं। इसके साथ ही नवीन बाबू की बीमारी को एक साजिश बताकर सत्ता में आने के बाद उसकी जांच कराए जाने की बात खुद पीएम मोदी ने चुनाव प्रचार के दौरान कई बार कही। इसका जनता में खासा संदेश गया और चुनाव में बाजी पलट गई। पांडियन तो इतना डर गए कि नतीजा घोषित होते ही राजनीति से संन्यास लेकर पतली गली से खिसक गए। अब बिहार में भी सीएम नीतीश कुमार की बीमारी को प्रचारित किया जा रहा है। पिछले विधानसभा चुनाव में राजद ७५ सीटों के साथ पहले नंबर पर रही, जबकि भाजपा को ७४ और जेडीयू को ४३ सीटें मिली थीं। इस चुनाव में भाजपा को २१ सीटों का फायदा और जेडीयू को २८ सीटों का नुकसान हुआ था। इससे भाजपा के हौसले बुलंद हैं। अब गत लोकसभा चुनाव से ही भाजपा वैंâप नीतीश कुमार की बीमारी की खबरें पैâला रहा है। उनकी याददाश्त की दुहाई दी जा रही है। हाल ही में हाथ के इलाज के लिए नीतीश अस्पताल में भर्ती हुए थे। ऐसे में नीतीश को राज चलाने के लिए अक्षम साबित करने का खेल भाजपा ने शुरू कर दिया है, जिसका अगले विधानसभा चुनाव में भरपूर इस्तेमाल किया जाएगा।

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