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पुराने पन्ने : सीरियल किलर का खौफ!

श्रीकिशोर शाही
मुंबई

गत सप्ताह गुजरात पुलिस ने एक सीरियल किलर को दबोचा है। यह खतरनाक किलर अब तक ५ लड़कियों की हत्याएं कर चुका था। असल में एक रेलवे स्टेशन के पास एक लड़की की लाश मिलने के बाद पुलिस ने जब जांच शुरू की तो उसके तार इस खतरनाक कातिल तक पहुंचे। पुलिस को इस सीरियल किलर के गिरेबान तक पहुंचने में करीब पांच हजार सीसीटीवी वैâमरों की फुटेज की खाक छाननी पड़ी, तब जाकर राहुल जाट नामक यह सीरियल कातिल गिरफ्त में आया।
अब जब बात सीरियल किलर की सामने आती है तो मुंबई के खतरनाक सीरियल किलर रमन राघव को कौन भूल सकता है भला! १९६० के दशक की शुरुआत में मुंबई के बाहरी इलाकों में एक के बाद एक फुटपाथ पर सोनेवाली गरीब महिलाओं की हत्याएं होने लगी थीं। इन सभी की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में एक आश्चर्यजनक खुलासा यह हुआ कि सभी महिलाओं की हत्या के बाद उनका रेप किया गया था। रमन का महिलाओं की हत्या करने का तरीका भी अजीब था। वह रात में गहरी नींद में सो रही महिलाओं पर धारदार हथियार से हमला करता था। महिला की मौत के बाद वह उसके शव के साथ दुष्कर्म करता था। वह इतना शातिर था कि काफी समय तक पुलिस की नजरों से दूर रहा। १९६५ में एक रात तो हद हो गई। फुटपाथ पर सो रहे १९ लोगों पर हमला हुआ। इसमें ९ लोगों की मौत हो गई थी, जबकि १० गंभीर रूप से घायल हो गए थे। तब घायल लोगों के बयान के बाद पहली बार पुलिस को रमन राघव के बारे में पता चला था। रमन राघव के प्रोफाइल की जांच में पता चला कि वह ५ साल डकैती की सजा काट चुका है। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक, उसने अपनी बहन को भी नहीं बख्शा था। पुलिस ने सीरियल किलर रमन राघव को गिरफ्तार तो कर लिया था, लेकिन वह गुनाह कबूल नहीं कर रहा था। तब उससे पूछताछ की जिम्मेदारी इंस्पेक्टर और उनकी टीम को मिली थी। एक दिन रमन राघव ने पुलिस की टीम से कहा कि मैं अपना गुनाह कबूल कर लूंगा, लेकिन इसके लिए मुझे खाने में दूध, केले और चिकन दिया जाए। खाना खाने के बाद उसने अपनी डायरी, रॉड के साथ अन्य सामान सौंप दिया था। डायरी में उसने हिंदी और अंग्रेजी में लिखा था, खल्लास, खतम। ६ नवंबर, १९६८ को रमन राघव ने जिला न्यायालय में मजिस्ट्रेट आरएम देवरे के सामने अपना अपराध स्वीकार करते हुए २४ लोगों की हत्याओं की बात स्वीकार कर ली। उसे मौत की सजा मिली। हालांकि, हाई कोर्ट ने बाद में उसकी मौत की सजा को उम्रवैâद में बदल दी। रमन राघव को पुणे की यरवदा जेल की सबसे सुरक्षित बैरक में रखा गया। १९९५ में इस खतरनाक सीरियल किलर की दोनों किडनियां खराब होने के चलते मौत हो गई।

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