मुख्यपृष्ठस्तंभपुराने पन्ने : नहीं दी गवाही तो कर डाला कत्ल!

पुराने पन्ने : नहीं दी गवाही तो कर डाला कत्ल!

श्रीकिशोर शाही
मुंबई

यूपी पुलिस के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप के सिपाही वीरेंद्र सिंह को अदालत ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। सिपाही पर २०१५ में एक विवाह स्थल पर कन्हैया कुमार नामक एक युवक की गोली मारकर हत्या का आरोप था। अदालत ने गत सप्ताह फैसला सुनाते हुए दोषी पर एक लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया। अदालत ने आदेश में यह भी कहा है कि यह सत्ता और हथियारों के खुलेआम दुरुपयोग का मामला है। अपराध एक पुलिसकर्मी की ओर से किया गया था, जिसकी प्राथमिक जिम्मेदारी लोगों की रक्षा करना और कानून को बनाए रखना है। जब रक्षक ही भक्षक बन जाए तो अपराध के प्रति जनता की घृणा को दर्शाने के लिए कड़ी सजा जरूरी है। आखिर सिपाही ने क्यों एक युवक का कत्ल कर दिया? आम लोगों के मन में यह सवाल उठना स्वाभाविक है।
१६ मई, २०१५ का दिन। आगरा में एक शादी समारोह में शामिल होने के लिए कन्हैया कुमार पहुंचा था। यह शादी न्यू शांति नगर में मोहन सिंह के घर पर हो रही थी। इसी शादी समारोह में सिपाही वीरेंद्र सिंह भी आया। सिपाही ने जब कन्हैया को वहां पर देखा तो गुस्से में उबल पड़ा। फिर उसने अपनी पिस्टल निकाली और धांय-धांय… कन्हैया के ऊपर फायर कर दिया। गोली लगते ही कन्हैया वहीं गिर पड़ा। वह बुरी तरह से घायल हो गया। कन्हैया के पिता बेनी राम ने सिटी कोतवाली पुलिस स्टेशन में रिपोर्ट दर्ज कराई कि एसओजी सिपाही वीरेंद्र सिंह तीन अन्य लोगों के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे। कहासुनी के बाद वीरेंद्र सिंह ने ९ एमएम की सर्विस पिस्टल से कन्हैया को गोली मार दी। कन्हैया घायल हो गया। अपराध को छिपाने के प्रयास में वीरेंद्र सिंह उसे अस्पताल ले गया, जहां उसकी मौत हो गई। इसके बाद अगली सुबह उसने कन्हैया के शव को उसके घर के पास झाड़ियों में फेंक दिया और भाग गया। बेनी राम की शिकायत पर कन्हैया हत्याकांड के आरोपी सिपाही वीरेंद्र सिंह को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया गया। हालांकि, कुछ सप्ताह बाद उसे जमानत मिल गई। जांच में पता चला कि कहीं पर एक चोरी हुई थी। पुलिस चाहती थी कि उस मामले में कन्हैया पुलिस के पक्ष में गवाही दे, पर कन्हैया ने गवाही देने से मना कर दिया था। इससे सिपाही वीरेंद्र उससे खफा हो गया था। एडीजीसी ने कहा कि मुकदमे के दौरान १० गवाहों ने गवाही दी। पुलिस ने घटना को छिपाने के लिए अपनी जांच में कई चूक की, लेकिन अदालत ने प्रस्तुत साक्ष्य के आधार पर पुलिसकर्मी को दोषी पाकर उसे उम्रवैâद की सजा सुना दी।

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